हिजाब खींचते हुए नीतीश कुमार (कॉन्सेप्ट फोटो)
Dr. Nusrat Joining: बिहार में आयुष डॉक्टर डॉ. नुसरत परवीन का मामला एक नया मोड़ ले चुका है। हिजाब विवाद के बाद सुर्खियों में आईं डॉ. नुसरत की जॉइनिंग को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन नीतीश कुमार सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए सभी आयुष डॉक्टरों के लिए जॉइनिंग की तारीख 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है।
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यकारी निदेशक अमित कुमार पांडे ने इस संबंध में एक पत्र जारी किया है। इससे पहले 20 दिसंबर को पटना सदर सिविल सर्जन कार्यालय में अधिकारियों ने डॉ. नुसरत का पूरे दिन इंतजार किया, लेकिन वह नहीं आईं। अब अधिकारियों को उम्मीद है कि वह जल्द ही जॉइन करेंगी।
राज्य स्वास्थ्य समिति ने आयुष डॉक्टरों के जॉइन करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है। यह फैसला उन डॉक्टरों के लिए राहत की बात है जो विभिन्न कारणों से समय पर जॉइन नहीं कर पाए थे। ईडी अमित कुमार पांडे के पत्र में साफ किया गया है कि यह विस्तार सभी चुने हुए आयुष डॉक्टरों पर लागू होगा।
सूत्रों के अनुसार, इस फैसले का मुख्य कारण डॉ. नुसरत परवीन का मामला है, जिन्हें RBSK योजना के तहत पटना सदर में तैनात किया गया है। अधिकारियों ने जॉइनिंग फॉर्म तैयार कर लिए थे, लेकिन 20 दिसंबर को सुबह से शाम तक का इंतजार बेकार साबित हुआ। अब 31 दिसंबर तक विस्तार मिलने से उम्मीद है कि डॉ. नुसरत अपना फैसला बदल सकती हैं।
यह सब हिजाब की घटना से शुरू हुआ, जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में डॉ. नुसरत का हिजाब हटा दिया था। इस घटना से एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया और डॉ. नुसरत को गहरा दुख पहुंचा। उनके भाई ने मीडिया को बताया कि वह बहुत परेशान थीं और जॉइन करने से मना कर रही थीं, लेकिन परिवार उन्हें मनाने की कोशिश कर रहा था।
अधिकारियों का कहना है कि अब तक डॉ. नुसरत की ओर से कोई औपचारिक इनकार नहीं आया है, न ही कोई स्पष्ट स्वीकृति मिली है। जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों का कहना है कि जॉइनिंग की प्रक्रिया पूरी तरह से तैयार है। इस बीच झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने भी उन्हें नौकरी का ऑफर दिया, जिससे मामला और भी पेचीदा हो गया है। हालांकि, JMM ने ऐसा कोई ऑफर देने से इनकार किया है।
15 दिसंबर 2025 को पटना में आयुष डॉक्टरों के लिए नियुक्ति पत्र वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कथित तौर पर यूनानी चिकित्सक डॉ. नुसरत परवीन के हिजाब की ओर इशारा किया और फिर उसे खींच दिया, जिससे एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया। खबरों के मुताबिक, डॉ. नुसरत इस घटना से दुखी थीं, और उनके परिवार ने शुरू में संकेत दिया था कि वह अपॉइंटमेंट लेने से मना कर देंगी।
ज्वाइन करने की आखिरी तारीख 20 दिसंबर 2025 थी, लेकिन वह ड्यूटी पर नहीं पहुंची। पटना सदर सिविल सर्जन के ऑफिस में अधिकारी पूरे दिन ज्वाइनिंग फॉर्म और सभी डॉक्यूमेंट्स तैयार करके इंतजार करते रहे, लेकिन डॉ. नुसरत नहीं आईं। इसके बाद राज्य स्वास्थ्य समिति ने सभी आयुष डॉक्टरों के लिए ज्वाइन करने की तारीख बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 कर दी।
डेडलाइन बढ़ने के बाद अधिकारियों को उम्मीद है। एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “हमें भरोसा है कि वह ज्वाइन करेंगी। यह उनके करियर के लिए ज़रूरी है।” हालांकि, सोशल मीडिया पर यह विवाद जारी है, जहां कुछ लोग इसे धार्मिक असहिष्णुता से जोड़ रहे हैं। दूसरे लोग सुझाव दे रहे हैं कि नीतीश सरकार ने स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए राजनीतिक दबाव में ज्वाइनिंग की तारीख बढ़ाने का फैसला लिया।
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इस सब के इतर डॉ. नुसरत का सर्विस ज्वाइन करने का फैसला न सिर्फ उनके पर्सनल करियर से जुड़ा है, बल्कि यह बिहार में हेल्थकेयर सेवाओं और अल्पसंख्यक महिलाओं के सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन सकता है। अगर वह ज्वाइन करती हैं, तो विवाद के बाद एक पॉजिटिव मैसेज जाएगा।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नुसरत का नौकरी ज्वाइन करने का फैसला यह दिखाएगा कि वह Gen Z कैटेगरी की हैं, जो अपनी पहचान, आत्म-सम्मान और प्रोफेशनल जिम्मेदारियों को अलग रखने में सक्षम हैं। फिलहाल, 31 दिसंबर तक सभी की नज़रें डॉ. नुसरत पर हैं। क्या वह सस्पेंस खत्म करेंगी, या यह मामला कोई नया मोड़ लेगा?