
कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
Bihar Assembly Elections: बिहार के सियासी महाभारत में एक से एक दिग्गज महारथी चुनावी मोर्चों पर जोर-आजमाइश कर रहे हैं। इनमें जो सबसे बड़ा नाम है वह है हरिनारायण सिंह का। जो हरनौत विधानसभा सीट से ताल ठोंक रहे हैं। हरनौत वही सीट है जहां से नीतीश कुमार को शुरुआती हार और जीत दोनों मिली थी।
हरिनारायण सिंह राजनीति के माहिर खिलाड़ी रहे हैं। वह अबतक 12 बार चुनाव मैदान में उतरे। नौ चुनावों में उन्हें जीत हासिल हुई। इर बार फिर से वह हरनौत सीट से दसवीं जीत की हसरत लिये 13वीं बार मैदान में हैं। अबतक नी बार विधायक बनने का रिकॉर्ड बिहार के दो और नेताओं सदानंद सिंह और रमई राम के नाम रहा है। दोनों अब इस दुनिया में नहीं हैं। ऐसे में यदि हरिनारायण सिंह दसवीं बार जीते तो वह नया रिकॉर्ड बनायेंगे।
हरिनारायण सिंह पहली बार 1977 में चंडी सीट से जनता पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे। इसकी भी अलग कहानी है। इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित नेता रामराज प्रसाद सिंह बीमार होने से 1977 के चुनावी महासमर से दूर रहे। जनता पार्टी ने हरिनारायण सिंह को प्रत्याशी चनाया और इस तरह उनका राजनीति में प्रादुर्भाव हुआ। वह जीते भी। लेकिन, अगले ही चुनाव (1980) में रामराज प्रसाद सिंह फिर से चुनाव मैदान में उतरे और उनसे कड़ी टक्कर में हरिनारायण सिंह हार गए।
रामराज प्रसाद सिंह की हुई आकस्मिक मौत के कारण 5 जून 1983 को हुए उपचुनाव में फिर से जनता ने हरिनारायण सिंह को मौका दिया। वहीं, रामराज प्रसाद सिंह के बेटे अनिल सिंह उपविजेता बने। फिर वर्ष 1985 में चंडी विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने अनिल सिंह को तवज्जो दी और हरिनारायण सिंह उपविजेता बने।
अगले चुनाव वर्ष 1990 में इसके उलट हरिनारायण सिंह विजेता, तो अनिल सिंह उपविजेता रहे। वर्ष 1995 में अनिल सिंह ने हरिनारायण सिंह को पछाड़ दिया। 2000 से लेकर 2020 तक के विधानसभा चुनावों में हरिनारायण सिंह ने जीत का सिलसिला चनाये रखा। 2008 में परिसीमन के तहत चंडी विधानसभा क्षेत्र विलोपित हो गया और इसके बाद के चुनावों में हरिनारायण सिंह हरनौत सीट से जीतते रहे हैं।
1977: चंडी से जनता पार्टी प्रत्यासी के रूप में जीते।
1980: कांग्रेस के दिग्गज नेता रामराज प्रसाद सिंहने उन्हें पराजित कर दिया
1983: रामराज सिंह के पुत्र अनिल सिंह को पराजित कर विधायक बने
1985: कांग्रेस प्रत्याशी अनिल सिंह से हार गए
1990: पुनः जीते, अनिल सिंह हारे
1995: समता पार्टी प्रत्याशी अनिल सिंह ने पराजित किया
2000: समता पार्टी प्रत्याशी के रूप में जीते
2005 (फरवरी) से अबतक लगातार जीत मिली।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र हरनौत से जदयू प्रत्याशी हरिनारायण सिंह की दसवीं जीत को रोकने के लिए कांग्रेस ने अरुण कुमार को मैदान में उतारा है। इस बार फिर से कांग्रेस अरुण कुमार को प्रत्याशी बनाकर जदयू के गढ़ में सेंधमारी की पुरजोर कोशिश में जुटी है। इसके पहले वर्ष 2010 और 2015 में अरुण कुमार लोजपा से चुनाव लड़ चुके हैं। वे जदयू को किसी भी कीमत पर हराने के लिए ऐडी-चोटी का जोर लगा रहे है।
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महागठबंधन की अन्य पार्टियों के दिग्गज भी दिन-रात एक कर रहे हैं। इस बार विपक्षी दलों के नेता व कार्यकर्ता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखने के लिए कुछ विशेष जोश में दिख रहे हैं। ऐसे में हरिनारायण सिंह की राह पूर्व की तरह आसान रहने वाली नहीं है।






