चिराग पासवान, (फाइल फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव अब सादगी के उस दौर से बहुत आगे निकल चुका है, जब नेताजी एक सामान्य सी गाड़ी में प्रचार करते दिखते थे। अब चुनावी मैदान में उतरने वाले नेता न सिर्फ़ अपने ब्रांडेड कपड़ों, महंगे जूतों और चश्मों से अपनी छवि चमका रहे हैं, बल्कि उनके प्रचार वाहनों का ‘स्टेटस सिंबल’ भी पूरी तरह बदल गया है। एक समय था जब टोयोटा की फॉर्च्यूनर एसयूवी को रसूखदार नेताओं का सबसे बड़ा स्टेटस सिंबल माना जाता था, लेकिन अब इस ‘किंग’ की चमक फीकी पड़ गई है।
आज के नेताजी लग्जरी और अत्यधिक सुरक्षित लैंड रोवर की डिफ़ेंडर, टोयोटा लैंड क्रूज़र और रेंज रोवर जैसी करोड़ों की गाड़ियों के कायल हो गए हैं। ये गाड़ियाँ अब सिर्फ़ रईस लोगों की शान नहीं, बल्कि चुनावी रण में उतरने वाले नेताओं की पहली पसंद बन गई हैं।
विधानसभा चुनाव के नामांकन प्रक्रिया में यह नया ट्रेंड स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। नामांकन के दौरान दिखने वाली गाड़ियों की संख्या और उनकी कीमत, दोनों ही बढ़ी हैं, जिसे जनता मजबूत नेता के तौर पर देखती है। रोड शो और रैली में अब दर्जनों नहीं, बल्कि सैकड़ों लग्ज़री गाड़ियाँ नेताओं के काफ़िले का हिस्सा होती हैं। नए नेताजी और उनके खास लोग अब एक करोड़ से शुरू होकर तीन करोड़ रुपए तक की कीमत वाली लैंड क्रूज़र और डिफ़ेंडर जैसी गाड़ियों में घूमना-फिरना आम बात हो गई है।
सड़कों के किनारे खड़े लोग इन भव्य काफ़िलों को देखने के लिए रुक जाते हैं। यह ट्रेंड उस दौर के बिलकुल विपरीत है, जब नेताजी एक-दो लाख की सामान्य गाड़ियों में सफर करते थे। नेता अब ऐसी गाड़ियां पसंद कर रहे हैं जो उन्हें न केवल आरामदायक बल्कि अत्यधिक सुरक्षित महसूस कराएं।
महंगी और लग्ज़री गाड़ियाँ सिर्फ़ सुरक्षा और आराम के लिए ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर नेताओं का क्रेज़ बढ़ाने में भी मददगार साबित हो रही हैं। युवा और नए ज़माने के नेता इन हाई-एंड एसयूवी के साथ अपनी यात्रा की रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर रहे हैं, जिन्हें लोग खूब पसंद करते हैं। इन लग्ज़री गाड़ियों का इस्तेमाल प्रचार में सहूलियत के साथ-साथ ‘रील्स’ बनाने में भी किया जा रहा है। ये गाड़ियाँ धूल और शोर को भी कम करने में मददगार साबित होती हैं, जिससे नेताजी लंबे प्रचार के दौरान भी तरोताज़ा महसूस करते हैं।
इस चुनाव में एक और दिलचस्प ट्रेंड सामने आया है, और वह है गाड़ियों में सनरूफ़ (Sunroof) का क्रेज़। नेताजी चाहे करोड़ों की गाड़ी खरीदें या लाखों की, उसमें सनरूफ़ होना अब अनिवार्य हो गया है। सनरूफ वाली गाड़ियां प्रचार के दौरान एक अतिरिक्त सहूलियत प्रदान करती हैं। नेताजी गाड़ी से बार-बार उतरे बिना ही, सनरूफ़ से बाहर निकलकर अपने कुछ समर्थकों के साथ खड़े हो जाते हैं। इस तरह, वह चलते हुए लोगों को प्रणाम करते चलते हैं और जनता का अभिवादन करने का कार्य लगातार बिना थके करते रहते हैं। सनरूफ़ वाली गाड़ियाँ एयर कंडीशनर के साथ भी ठंडी हवा प्रदान कर सकती हैं, जिससे गर्मी और धूल से बचाव होता है।
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कुल मिलाकर, बिहार चुनाव में अब सादगी की जगह ‘लग्ज़री और तकनीक’ ने ले ली है। लैंड क्रूज़र, डिफ़ेंडर और सनरूफ़ वाली गाड़ियाँ न सिर्फ़ नेताओं का नया ‘स्टेटस सिंबल’ बनी हैं, बल्कि प्रचार करने का एक प्रभावी और आरामदायक तरीका भी बन गई हैं।