ब्रह्मपुर विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Brahampur Assembly Constituency: बिहार के बक्सर जिले की ब्रह्मपुर विधानसभा सीट जिसे निर्वाचन आयोग के दस्तावेजों में “ब्रहमपुर” लिखा जाता है, अपने नाम की ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के कारण विशिष्ट स्थान रखती है। यह सीट, जहाँ लोककथाओं के अनुसार स्वयं ब्रह्मा जी ने स्थापना की थी, राजनीतिक रूप से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का एक अभेद्य गढ़ बन चुकी है।
धार्मिक मान्यता: इस स्थान का नाम स्वयं ब्रह्मा जी से जुड़ा है। यहाँ एक प्राचीन पश्चिममुखी शिव मंदिर है, जिसके बारे में चमत्कार की लोककथा प्रचलित है कि मध्यकालीन आक्रमणकारी महमूद गजनवी के डर से मंदिर का द्वार रातों-रात पूर्व से पश्चिम की ओर हो गया था।
वर्तनी विवाद: विधानसभा क्षेत्र का नाम बिहार सरकार के रिकॉर्ड में ‘ब्रह्मपुर’ है, जबकि निर्वाचन आयोग ‘ब्रहमपुर’ वर्तनी का उपयोग करता है। यह विवाद तब तक बना रहेगा जब तक कि कोई आधिकारिक सुधार नहीं होता।
जनसांख्यिकी: यह क्षेत्र पूरी तरह ग्रामीण है, जहाँ सिमरी, ब्रहमपुर और चक्की प्रखंडों को सम्मिलित किया गया है, और यहाँ कोई शहरी आबादी नहीं है।
ब्रहमपुर विधानसभा सीट (सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित) 1951 में स्थापित हुई थी।
दल जीत की संख्या वर्तमान स्थिति
राजद ने 5 बार वर्ष 2000 से यह सीट राजद का गढ़ बन गई है, जिसने पिछले छह में से पाँच चुनाव जीते हैं।
कांग्रेस ने 5 बार शुरुआती वर्षों में दबदबा रहा।
भाजपा/अन्य ने 2-2 बार केवल 2010 में भाजपा इस किले को भेद पाई थी।
2020 का परिणाम: राजद के शंभूनाथ यादव ने 51,141 वोटों के भारी अंतर से यह सीट बरकरार रखी। उन्होंने लोजपा और वीआईपी उम्मीदवारों को पछाड़ा, जो उस समय अलग-अलग गठबंधनों में थे।
2025 की चुनौती: 26% यादव वोट बनाम NDA की रणनीति
राजद की जीत का मुख्य कारण यहाँ का सटीक जातीय समीकरण रहा है:
यादव मतदाता: इस सीट पर यादव मतदाता लगभग 26% हैं, जो राजद की बढ़त का सबसे प्रमुख कारण हैं।
M-Y समीकरण: मुस्लिम मतदाता (लगभग 4.4%) के समर्थन से राजद का एम-वाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण यहाँ अजेय माना जाता है।
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2024 लोकसभा का संकेत: राजद ने 2024 के लोकसभा चुनावों में इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा पर 15,333 वोटों की बढ़त बनाकर अपनी मजबूत स्थिति को और पुख्ता किया है।
एनडीए (NDA) गठबंधन के लिए यह सीट जीतना अत्यंत कठिन चुनौती है। उन्हें न केवल राजद की 15,333 वोटों की बढ़त को तोड़ना होगा, बल्कि यादव समुदाय में सेंध लगाने या गैर-यादव ओबीसी (OBC) और सवर्ण वोटों को पूरी तरह एकजुट करने के लिए एक ठोस रणनीति अपनानी होगी।