धर्मेंद्र प्रधान व नीतीश कुमार (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bihar Politics: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की। मंगलवार को दो घंटे चली इस मुलाकात को बिहार के राजनैतिक हलकों में बड़ी हलचल मचा दी है। क्योंकि उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा भी इस बैठक में मौजूद थे।
बताया जा रहा है कि इस मुलाकात के दौरान आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव, एनडीए गठबंधन की एकजुटता और आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की रणनीति पर गहन चर्चा हुई। लेकिन धर्मेंद्र प्रधान की नीतीश कुमार से मुलाकात को बिहार की राजनीति में एक अहम घटनाक्रम के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि धर्मेंद्र ने इसे एक ‘आत्मीय भेंट’ करार दिया है, लेकिन जानकारों का कहना है कि धर्मेंद्र प्रधान बीजेपी के प्रमुख रणनीतिकारों में से एक माने जाते हैं और बिहार में जब भी भाजपा और जदयू के गठबंधन में कोई मतभेद या तनाव होता है, तो धर्मेंद्र प्रधान अक्सर ‘संकटमोचक’ की भूमिका में आगे आते हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे से पहले यह मुलाकात काफी अहम थी।
धर्मेंद्र प्रधान का बिहार से गहरा नाता रहा है। 2012 में वे बिहार से राज्यसभा सांसद चुने गए और 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत में अहम रणनीतिकार रहे। जब भी भाजपा और जदयू के बीच तनाव की स्थिति बनी, धर्मेंद्र ने संकटमोचक की भूमिका निभाई।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि धर्मेंद्र प्रधान की मुख्यमंत्री नीतीश से नजदीकी और बिहार की ज़मीनी समझ उन्हें एनडीए के लिए अहम बनाती है। इस मुलाक़ात को गठबंधन में समन्वय और विश्वास बहाल करने की कवायद के तौर पर भी देखा जा रहा है।
बता दें कि 9 सितंबर को होने वाले आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन को पहले ही जदयू का समर्थन मिल चुका है। बताया जा रहा है कि धर्मेंद्र प्रधान और नीतीश कुमार की मुलाक़ात में इस समर्थन को और मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया।
इसके अलावा, एनडीए के भीतर छोटे सहयोगियों- जैसे चिराग पासवान की लोजपा, जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा के साथ समन्वय पर भी चर्चा हुई। ज़ाहिर है, धर्मेंद्र-नीतीश की मुलाक़ात बिहार में एनडीए गठबंधन की एकजुटता का संदेश भी देती है।
बिहार में धर्मेंद्र प्रधान व नीतीश कुमार की बैठक (सोर्स- सोशल मीडिया)
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान जल्द हो सकता है और एनडीए के लिए सीटों का बंटवारा अभी भी एक बड़ी चुनौती है। भाजपा और जदयू दोनों ही ज़्यादा सीटों पर दावा कर रहे हैं। वहीं, चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टियों के भी अपने-अपने दावे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर शुरुआती चर्चा हुई। ऐसे में कहा जा रहा है कि धर्मेंद्र प्रधान का दौरा इस बात का संकेत है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व नीतीश को सीएम चेहरा घोषित करने और गठबंधन की रणनीति को अंतिम रूप देने को लेकर गंभीर है।
जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की मतदाता अधिकार यात्रा ने एनडीए के लिए एक चुनौती खड़ी कर दी है। विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देने के लिए एनडीए को एकजुट और आक्रामक रणनीति की ज़रूरत है। धर्मेंद्र प्रधान की नीतीश कुमार से मुलाकात इसी दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
बता दें कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री के तौर पर धर्मेंद्र प्रधान का बिहार दौरा शिक्षा से जुड़े मुद्दों की ओर भी इशारा करता है। उन्होंने ज्ञान भवन में भाजपा युवा मोर्चा के युवा सम्मेलन में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने शिक्षा और रोज़गार के अवसरों पर जोर दिया। नीतीश कुमार के साथ उनकी बातचीत में बिहार के लिए केंद्रीय योजनाओं, जैसे मखाना बोर्ड और कोसी नहर परियोजना, के क्रियान्वयन पर भी चर्चा हुई।
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जानकारों के अनुसार, धर्मेंद्र प्रधान का बिहार दौरा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात महज एक मुलाकात नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एनडीए की रणनीति को मज़बूत करने की एक कोशिश है। नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के बीच उनकी मुलाकात सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर अंतिम फैसला ले सकती है।