भाजपा और जनसुराज के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू, फोटो सोशल मीडिया
BJP vs Jan Suraj: शुक्रवार को जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बीजेपी नेताओं पर तीखे आरोप लगाए, तो शनिवार को बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने जोरदार पलटवार किया और प्रशांत किशोर को “नटवरलाल से भी बड़ा ठग” बता दिया।
बीजेपी सांसद संजय जायसवाल ने फेसबुक पर एक लंबी पोस्ट करते हुए प्रशांत किशोर पर सीधा हमला बोला। उन्होंने लिखा, “बिहार की पहचान पहले नटवरलाल से थी, अब प्रशांत किशोर उससे भी आगे निकल चुके हैं। नटवरलाल ने आम लोगों को ठगा, पीके बिहार के बुद्धिजीवियों को ठग रहे हैं।”
जायसवाल ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर ने खुद स्वीकार किया है कि आंध्र प्रदेश के सांसद अयोध्या रामी रेड्डी ने उन्हें 14 करोड़ रुपये चंदे में दिए। लेकिन उन्होंने यह सवाल उठाया कि यह चंदा घाटे में चल रही कंपनी से क्यों लिया गया? और अगर इतना बड़ा चंदा मिला, तो चुनाव आयोग को दी गई ऑडिट रिपोर्ट में जन सुराज पार्टी का सालभर का खर्च सिर्फ 35,000 रुपये क्यों दिखाया गया?
बीजेपी सांसद ने दावा किया कि साल 2023-24 के दौरान जन सुराज की पदयात्रा में लगभग 200 गाड़ियां चल रही थीं, जिनमें फाइव स्टार टेंट और खाने-पीने की व्यवस्था थी। हर जिले में 10 से अधिक कर्मचारी भी थे। फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि पार्टी का कुल सालाना खर्च सिर्फ 35 हजार रुपए हो? उन्होंने इसे “सीधा वित्तीय घोटाला” करार दिया। जायसवाल ने एक और सवाल उठाया कि जब 17 सितंबर 2024 तक पार्टी के अध्यक्ष शरत कुमार मिश्रा थे, तो 2 अक्टूबर को गांधी मैदान में अचानक उदय सिंह कैसे अध्यक्ष बन गए? उन्होंने इस बदलाव को भी जन सुराज के संगठनात्मक धोखे का हिस्सा बताया।
संजय जायसवाल ने अयोध्या रामी रेड्डी पर भी सवाल उठाए, जो देश के सबसे अमीर सांसदों में गिने जाते हैं और जिन पर वित्तीय अनियमितताओं के कई आरोप हैं। जायसवाल ने पूछा, “कहीं ऐसा तो नहीं कि आंध्र प्रदेश में असफल हो चुकी वाईएसआर कांग्रेस अब बिहार में पीके पर दांव खेल रही है?”
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फिलहाल प्रशांत किशोर की ओर से इस तीखे हमले पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह ज़ुबानी जंग चुनावी नज़दीकियों के साथ और तेज होगी और दोनों ओर से खुलासों का दौर अभी थमा नहीं है। इस ताजा विवाद ने चुनावी राजनीति में पारदर्शिता और राजनीतिक फंडिंग पर बहस को फिर से हवा दे दी है। प्रशांत किशोर, जो खुद राजनीति में “सिस्टम बदलाव” की बात करते हैं, अब अपनी ही पार्टी की फंडिंग पर सवालों के घेरे में आ गए हैं।