राबड़ी देवी
Bihar politics बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी के सरकारी आवास बदले जाने पर बिहार में सियासी तापमान बढ़ गया है। आरजेडी ने साफ कर दिया है कि नीतीश सरकार को जो करना है वो कर ले, लेकिन हम आवास (10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास) खाली नहीं करेंगे। इसके बाद बिहार में सियासी तापमान बढ़ गया है। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष के बयान के बाद बिहार में सियासी तापमान बढ़ गया है।
क्या है विवाद
नीतीश सरकार के एक फैसले के बाद बिहार में सियासी तापमान बढ़ गया है। मंगलवार की शाम भवन निर्माण विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को उनका सरकारी आवास 10, सर्कुलर रोड खाली करने का नोटिस जारी कर दिया। राबड़ी देवी को 10, सर्कुलर रोड पूर्व सीएम के नाते आवंटित किया गया था। लेकिन, कोर्ट के निर्देश पर यह व्यवस्था खत्म करने के बाद राबड़ी देवी को 10, सर्कुलर रोड की जगह अब उन्हें 39, हार्डिंग रोड वाला आवास आवंटित किया गया है। 39, हार्डिंग रोड का नया आवास राबड़ी देवी को बिहार विधानपरिषद के नेता प्रतिपक्ष के रूप में किया गया था। जो कि आगे चलकर राबड़ी देवी का नया सरकारी ठिकाना होगा। भवन निर्माण विभाग के आदेश में साफ लिखा है कि ‘नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधान परिषद के लिए पटना केंद्रीय पूल का आवास संख्या-39, हार्डिंग रोड आवंटित किया जाता है।’ इसका मतलब यह है कि लालू-राबड़ी परिवार को अब 10 सर्कुलर रोड स्थित बंगला खाली करना ही होगा।
कोर्ट का क्या है आदेश
दरअसल, राबड़ी देवी का बंगला खाली कराए जाने की वजह सिर्फ राजनीतिक बदलाव नहीं है, इसकी शुरुआत 2017 की एक कानूनी लड़ाई से होती है, जो तेजस्वी यादव की जिद से शुरू हुई थी। 2017 में NDA सरकार बनने पर तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम पद से हटना पड़ा था। इसके साथ ही उन्हें आवंटित सरकारी आवास 5, देशरत्न मार्ग खाली करने का नोटिस मिला। तेजस्वी इस बंगले में काफी खर्च कर चुके थे और विपक्ष के नेता रहते इसी घर में रहना चाहते थे। उन्होंने फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने तेजस्वी की याचिका न सिर्फ खारिज की, बल्कि उससे भी बड़ा फैसला दिया। अदालत ने अपने फैसले में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला, सुरक्षा स्टाफ और अन्य सुविधाएं देने की व्यवस्था खत्म कर दी। यही फैसला अब 2025 में प्रभावी हुआ है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर तेजस्वी 2017 में हाईकोर्ट न गए होते, तो पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते राबड़ी देवी 10 सर्कुलर रोड में बनी रह सकती थीं। तेजस्वी के फैसले के बाद ही कोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों की विशेष सुविधाओं पर अंकुश लगाने का फैसला सुनाया था।
रोहिणी आचार्य का आक्रोश
नोटिस जारी होने पर लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, ‘सुशासन बाबू का विकास मॉडल… करोड़ों लोगों के मसीहा लालू प्रसाद यादव का अपमान पहली प्राथमिकता। घर से तो निकाल देंगे, बिहार की जनता के दिल से कैसे निकालिएगा? सेहत नहीं तो कम से कम लालू जी के राजनीतिक क़द का ही सम्मान रखते’ रोहिणी का ये बयान साफ दिखाता है कि परिवार इस फैसले को राजनीतिक बदले की कार्रवाई मान रहा है। इन सबके बीच सबसे बड़ा बदलाव तो यही है कि लालू परिवार का दशकों पुराना ठिकाना अब इतिहास बन जाएगा।