
बिहार विधानसभा चुनाव 2025, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Mokama Assembly Constituency: गंगा के दक्षिणी तट पर स्थित मोकामा विधानसभा सीट, पटना जिले से मात्र 85 किलोमीटर दूर होने के बावजूद, बिहार की राजनीति में अपनी एक अलग और बाहुबली पहचान रखती है। ‘उत्तर बिहार के प्रवेश द्वार’ के रूप में जाना जाने वाला यह क्षेत्र, मुंगेर लोकसभा के अंतर्गत आता है और 1951 से ही चुनावी अखाड़ा रहा है।
मोकामा की राजनीति पिछले तीन दशकों से ‘बाहुबल’ के प्रभाव में रही है। इसकी शुरुआत 1990 के दशक में दिलीप कुमार सिंह उर्फ ‘बड़े सरकार’ से हुई थी। लेकिन 2005 से इस सीट पर जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के दिग्गज नेता अनंत सिंह उर्फ ‘छोटे सरकार’ ने ऐसा अभेद्य किला बनाया, जिसे कोई तोड़ नहीं पाया।
अनंत सिंह ने लगातार पांच बार (2005 से 2020) इस सीट पर जीत का परचम लहराया है। उनका राजनीतिक सफर किसी पार्टी तक सीमित नहीं रहा। जदयू के टिकट पर 2005 और 2010 में नीतीश कुमार के साथ रहते हुए दो बार जीत हासिल की। फिर निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में 2015 में उतरे। पार्टी से किनारा करने के बावजूद अकेले दम पर जीत हासिल की। इसके बाद 2020 में राजद के टिकट पर जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा और जीता, जिससे उनके व्यक्तिगत जनाधार का पता चलता है।
हालांकि, 2022 में एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी थी। बावजूद इसके, मोकामा की जनता ने उनका साथ नहीं छोड़ा। 2022 के उपचुनाव में, उनकी पत्नी नीलम देवी को राजद ने मैदान में उतारा और उन्होंने भाजपा की सोनम देवी को 16,741 वोटों के अंतर से हराकर सीट राजद के पास बनाए रखी।
2025 के चुनाव से ठीक पहले, अनंत सिंह फिर से जदयू में लौट आए हैं और पार्टी ने उन पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया है।
NDA उम्मीदवार के रूप में अनंत सिंह जदयू के टिकट पर फिर से मैदान में हैं। वहीं महागठबंधन उम्मीदवार के रुप में राजद ने वीणा देवी को टिकट दिया है, जो बाहुबली-राजनेता सूरजभान सिंह की पत्नी हैं। फिलहाल यह मुकाबला दो बाहुबली परिवारों के बीच की सीधी और कांटे की टक्कर बन गया है। मोकामा में मतदान पहले चरण (6 नवंबर 2025) को होना है। यह सीट एक बार फिर बिहार की सबसे हाई-प्रोफाइल और प्रतिष्ठा वाली लड़ाई का केंद्र है।
मोकामा सीट पर भूमिहार समुदाय का ऐतिहासिक प्रभुत्व माना जाता है, जो अनंत सिंह का मुख्य वोट आधार भी है। हालांकि, यादव और अनुसूचित जाति (SC) के मतदाताओं की निर्णायक संख्या चुनाव परिणाम को जटिल बनाती है। भूमिहार वोट अनंत सिंह का मुख्य वोट बैंक है और निर्णायक माना जाता है, जबकि यादव राजद का पारंपरिक वोट बैंक है। यहां पर कुल 24% यादव वोटर हैं। अनुसूचित जाति (SC) के लोग भी 16.7% प्रतिशत बताए जाते हैं। मोकामा के मतदाताओं की संख्या 2024 में बढ़कर 2,90,513 हो गई है। 2020 में मतदान प्रतिशत 54.07% रहा था।
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मोकामा का नाम सिर्फ बाहुबल की राजनीति से ही नहीं जुड़ा है। 1908 में, महान क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी ने यहीं के मोकामा घाट रेलवे स्टेशन पर खुद को गोली मारकर शहादत दी थी। यह क्षेत्र भारत का दूसरा सबसे बड़ा मसूर उत्पादक क्षेत्र भी है, लेकिन यहां का विकास हमेशा से बाहुबली कहानियों में उलझा रहा है। 2025 का चुनाव इस बात का फैसला करेगा कि मोकामा की जनता फिर से ‘छोटे सरकार’ के तिलिस्म पर भरोसा करती है या बाहुबल की इस राजनीति को तोड़ने का प्रयास करती है।






