बिहार चुनाव मे कांग्रेस का समीकरण, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) I.N.D.I.A. ब्लॉक (महागठबंधन) का एक महत्वपूर्ण घटक है, लेकिन इसकी भूमिका क्षेत्रीय सहयोगी RJD पर निर्भर है। 2020 के विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस ने केवल 19 सीटें जीतीं थीं। कांग्रेस, RJD को साथ जोड़कर NDA को चुनौती देने की कोशिश कर रही है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कांग्रेस की भूमिका एक बड़े क्षेत्रीय सहयोगी के साथ गठबंधनात्मक मजबूरी और राष्ट्रीय प्रासंगिकता बनाए रखने की चुनौती के बीच फंसी हुई है।
बिहार में आजादी के बाद से लेकर 1989 तक 16 मुख्यमंत्री व कई राष्ट्रीय स्तर के नेता देने वाली कांग्रेस 1989 के बाद से कमजोर होती चली गयी। 1985 में 196 सीटें जीत कर सरकार बनाने वाली कांग्रेस 1990 में 71 सीटों पर, 1995 में 29 सीटों पर और 2000 में 23 सीटों पर सिमट गयी। इसके बाद तो वह और कमजोर होती दिखी क्योंकि लोकल दल उभर चुके थे।
2005 में 13वीं विधानसभा में 10 सीटों और 14वीं विधानसभा में 9 सीटों पर सिमट गयी। 2010 में हुए 15वीं विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने सबसे शर्मनाक प्रदर्शन किया और केवल 4 सीटें किसी तरह से जीत सकी। फिर गठबंधन करके सीटों की संख्या बढ़ाने की पहल तेज हुयी तो 2015 में हुए 16वीं विधानसभा के चुनाव में 27 सीटें जीत पायी। लेकिन 2020 में 17वीं विधानसभा में फिर से ग्राफ गिरा और पार्टी केवल 19 विधायक ही विधानसभा में पहुंचा पायी।
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अबकी बार के लिए कहा जा रहा है कि 2020 में 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली कांग्रेस के हिस्से मात्र 61 सीटें आई। इनमें से अधिकांश वही पुरानी सीटें हैं, जहां पार्टी ने पिछली बार चुनाव लड़ा था। जबकि 13 सीटें ऐसी हैं जो पार्टी ने किसी न किसी कारण से छोड़ दी हैं, जिनमें से कई पर कांग्रेस का पिछला प्रदर्शन ठीक-ठाक रहा था। अबकी चुनाव में पार्टी को कोई नई सीट नहीं मिली, बल्कि दो मौजूदा सीटें महाराजगंज और जमालपुर भी गंवानी पड़ीं। दोनों जगहों पर कांग्रेस के मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं मिला और सीटें महागठबंधन के अन्य घटकों को दे दी गईं। एक सकारात्मक बातें यह हुई कि बिहारशरीफ, बनमनखी और कुम्हरार जैसी सीटों पर पार्टी के अच्छा करने की उम्मीद है।