मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, फोटो: सोशल मीडिया
CM Nitish Kumar Announcement: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत सहायक कर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग के अंतर्गत कार्यरत रसोइयों, रात्रि प्रहरियों (वॉचमैन) और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों (पीटी टीचर्स) के मानदेय में अब सौ प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। इस फैसले से इन कर्मचारियों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है।
मुख्यमंत्री ने यह जानकारी अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2005 में जब उनकी सरकार सत्ता में आई थी, उस समय राज्य का शिक्षा बजट केवल 4,366 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 77,690 करोड़ रुपये हो चुका है। नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ और समावेशी बनाने के लिए लगातार काम किया जा रहा है।
आपको बता दें कि अब रसोइयों को 1,650 रुपये की जगह 3,300 रुपये प्रति माह मानदेय मिलेगा। इसी तरह स्कूलों में तैनात रात्रि प्रहरियों को अब 5,000 रुपये की जगह 10,000 रुपये प्रति माह और पीटी शिक्षकों को 8,000 रुपये की जगह 16,000 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा। साथ ही पीटी टीचर्स की वार्षिक वेतनवृद्धि भी 200 रुपये से बढ़ाकर 400 रुपये कर दी गई है।
सीएम नीतीश ने सुबह-सुबह सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट किया। इसमें उन्होंने लिखा, ‘शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में रसोइयों, रात्रि प्रहरियों तथा शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसे ध्यान में रखते हुए हमलोगों ने इन कर्मियों की मानदेय राशि में सम्मानजनक वृद्धि करते हुए इसे दोगुना करने का निर्णय लिया है।’
नवम्बर 2005 में सरकार बनने के बाद से ही हमलोग शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार काम कर रहे हैं। वर्ष 2005 में शिक्षा का कुल बजट 4366 करोड़ रूपए था जो अब बढ़कर 77690 करोड़ रूपए हो गया है। बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति, नए विद्यालय भवनों के निर्माण एवं आधारभूत संरचनाओं…
— Nitish Kumar (@NitishKumar) August 1, 2025
नीतीश कुमार ने कहा कि यह फैसला उन लोगों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, जो परदे के पीछे रहकर शिक्षा व्यवस्था को सुचारु बनाए रखते हैं। इससे इन कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा और वे और अधिक उत्साह व समर्पण के साथ कार्य करेंगे।
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शिक्षा विभाग के अधिकारियों और शिक्षा विशेषज्ञों ने इस निर्णय को सराहनीय बताया है। उनका मानना है कि इससे विद्यालयों का संचालन बेहतर होगा और कर्मचारियों के जीवन स्तर में भी सुधार आएगा। बिहार सरकार के इस फैसले को सामाजिक और प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।