नीतीश कुमार और अमित शाह (फोटो-सोशल मीडिया)
दिल्लीः बिहार चुनाव से पहले न केवल महागठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर उलझन है, बल्कि एनडीए में भी अभी असमंजस की स्थिति है। ऐसा इसलिए, क्योंकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने बयान से एक बार फिर से बिहार की सियासत में उथल-पुथल मचा दी है। शाह ने कहा कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा यह आने वाला समय बताएगा। उनके इस बयान के बाद से एक बार फिर से नीतीश कुमार कुमार का सियासी भविष्य मझधार में नजर आ रहा है। अमित शाह ने अपनी छोटी टिप्पणी से बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या एनडीए की सत्ता में वापसी के बाद नीतीश फिर से सीएम बनेंगे?
इससे पहले भाजपा नेतृत्व कई मौकों पर ऐलान कर चुका है कि 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि शीर्ष नेतृत्व ने स्पष्ट तौर पर एक बार भी नीतीश कुमार को अगला सीएम बनाने की बात नहीं कही है, जबकि बिहार भाजपा के नेता अगला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ही होने की बात अलग-अलग मौकों पर कहते नजर आए हैं।
बिहार भाजपा और भाजपा शीर्ष नेतृत्व का अलग-अलग बयान
बिहार में एनडीए की सत्ता में वापसी के बाद अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस बात पर बहस अमित शाह के ही बयान पर शुरू हुई थी, लेकिन पिछले कुछ माह में सीएम फेस पर सियासत खत्म हो गई थी। अब केंद्रीय गृह मंत्री के ही बयान के बाद राजनीति गरमा गई है। ऐसा लगता है कि राज्य की भाजपा इकाई और भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सीएम फेस को लेकर अभ तक एकमत नहीं हो पाए हैं।
वक्त बताएगा कौन होगा बिहार का सीएम?
केंद्रीय गृह मंत्री ने सवाल के जवाब में कहा कि बिहार का मुख्यमंत्री कौन होगा। यह समय बताएगा, लेकिन यह तय है कि हम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर चुनाव लड़ेंगे। उनके इस बयान से सियासी बवाल उत्पन्न होना तय माना जा रहा है। इसकी वजह यह है कि पहले से ही जेडीयू के नेताओं का एक वर्ग यह मान रहा है कि बिहार चुनाव के बाद राज्य में महाराष्ट्र मॉडल सामने आ सकता है, जहां पर जेडीयू में उसी तरह का बंटवारा हो सकता है। जिस तरह से महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी में हुआ है।
ललन सिंह और मनोज झा की भाजपा से करीबी
यह भी कहा जा रहा है कि जिस तरह से जेडीयू के दो बड़े नेताओं ललन सिंह और संजय झा की भाजपा से निकटता दिख रही है। उसे जेडीयू का ही एक वर्ग भविष्य के लिए बड़ा संकेत मान रहा है। राजद नेता मनोज झा ने कहा कि शाह ने बिहार के सीएम को समय के भरोसे छोड़ दिया है। इससे दो बातें साफ हैं। एक, भाजपा के मन में सीएम पद के लिए नीतीश कुमार का नाम ही नहीं है। दूसरा यह की भाजपा यह जान गई है कि राज्य में एनडीए सरकार की वापसी नहीं होने वाली है। यही वजह है कि उन्होंने संकेत में यह कहा है कि यह समय ही बता सकता है कि क्या एनडीए वहां पर भी जीत रहा है।