
Taxi को लेकर क्या है सरकार का फैसला। (सौ. Freepik)
Transport Department Action: महाराष्ट्र परिवहन विभाग ने ऐप-आधारित बाइक टैक्सी सेवाओं पर नकेल कसने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया है। विभाग अब Uber, Rapido और Ola जैसी कंपनियों को उन निजी बाइकों के संचालन पर नोटिस भेजने जा रहा है, जिन्हें नियमों के विपरीत टैक्सी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। हाल ही में पुलिस ने इन प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ “निजी बाइक से अवैध टैक्सी सेवा चलाने” के आरोप में FIR दर्ज की थी, जिसके बाद यह कार्रवाई और तेज हो गई है।
सितंबर में इन कंपनियों को एक महीने का “प्रोविजनल लाइसेंस” दिया गया था, जिसकी समयसीमा अब समाप्त हो चुकी है। इस बीच, कई सड़क दुर्घटनाओं में अवैध बाइक टैक्सी के शामिल होने से ई-बाइक टैक्सी नीति के ढीले पालन का खुलासा हुआ है। नीति के अनुसार, केवल इलेक्ट्रिक बाइकों को टैक्सी के रूप में अनुमति है, लेकिन मुंबई में पेट्रोल और अन्य निजी बाइकें धड़ल्ले से यात्रियों को ढोती नजर आ रही हैं। परिवहन विशेषज्ञ अब सवाल उठा रहे हैं क्या नीति जमीन पर उतरी भी है या सिर्फ कागजों तक सीमित है?
परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने साफ कहा है कि नियमों की अनदेखी करने वाली कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा, “अप्रशिक्षित चालकों को काम पर लगाने, नियम तोड़ने और यात्रियों की जान जोखिम में डालने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होगी।”
विभाग के सूत्रों के अनुसार, कंपनियों को अपनी ई-बाइकों का पंजीकरण कराने के लिए एक माह का समय दिया गया था। नियमों के उल्लंघन पर अब भारी जुर्माना लगाया जाएगा। सफेद नंबर प्लेट वाली निजी बाइक टैक्सी चलाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। RTO के अनुसार, Uber, Rapido और Ola ने परमिट के लिए केवल 50 ई-बाइकों को ही पंजीकृत किया है, जबकि शहर में हजारों निजी बाइकें टैक्सी की तरह चल रही हैं।
अक्टूबर तक प्रोविजनल लाइसेंस को स्थायी करने की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई। मुंबई मोबिलिटी फोरम के ए.वी. शेनॉय ने कहा, “नीति बना देने से कुछ नहीं होता। यदि निजी ऑपरेटरों को अनुमति दे रहे हैं तो निगरानी भी मजबूत होनी चाहिए।” पिछले महीने एक अवैध बाइक टैक्सी से सफर कर रहे यात्री की मौत के बाद सरकार की नीति पर सवाल उठे थे। इसके बावजूद अवैध संचालन जारी है।
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विभाग अब यह भी जांच करेगा कि क्या चालकों को सुरक्षा और नियमों का प्रशिक्षण दिया गया है? क्या हेलमेट उपलब्ध और अनिवार्य रूप से उपयोग किए जा रहे हैं? सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ अजय गोवले के अनुसार, “हेलमेट उपलब्धता और पालन सबसे बड़ी चुनौती है। पुलिस को लगातार अभियान चलाने होंगे ताकि नियम मानने का माहौल बन सके।”






