smuggling होने का क्या है कारण। (सौ. AI)
Kerala luxury car smuggling: उत्तरी केरल की सड़कों पर चमचमाती लग्जरी और विंटेज कारें हमेशा से सिर्फ परिवहन का जरिया नहीं, बल्कि एक स्टेटस सिंबल और जुनून रही हैं। मर्सिडीज-बेंज की गरज, पोर्शे की खूबसूरती और क्लासिक मॉडलों की शान यहां की संस्कृति और लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुकी है। लेकिन अब यह जुनून तस्करी के जाल में उलझता दिखाई दे रहा है, क्योंकि देशभर में अवैध गाड़ियों के खिलाफ कस्टम्स की बड़ी कार्रवाई शुरू हो गई है।
कस्टम्स विभाग ने मंगलवार को कोझिकोड, मलप्पुरम और कोच्चि में छापेमारी की। इस कार्रवाई का नाम रखा गया ‘नुमखोर’, जिसका भूटानी भाषा में मतलब है गाड़ी। जांच में सामने आया कि लग्जरी कारों को भूटान के रास्ते भारत में अवैध रूप से लाया जा रहा था ताकि टैक्स और ड्यूटी से बचा जा सके। अधिकारियों ने इसे “संगठित आर्थिक अपराध” करार दिया और बताया कि करोड़ों रुपये की गाड़ियां इस तरह बाजार में आ चुकी थीं।
मलप्पुरम और कोझिकोड जैसे जिलों में खाड़ी देशों से आई कमाई अक्सर कारों पर खर्च होती है। आंकड़ों के मुताबिक, हर महीने 200 से ज्यादा लग्जरी कारें (25 लाख रुपये से ऊपर) यहां बिकती हैं, जिनकी कुल कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये होती है। इनमें खरीदार ज्यादातर एनआरआई उद्योगपति, मेडिकल क्षेत्र से जुड़े कारोबारी और बड़े व्यापारी होते हैं।
कोझिकोड के कार प्रेमी फैसल रहमान कहते हैं, “यहां कार सिर्फ सफर का साधन नहीं, बल्कि पहचान है। लोग अपनी पूरी बचत और खाड़ी से कमाई गई रकम भी इन सपनों की कारों पर खर्च कर देते हैं।”
मलप्पुरम के एक विंटेज कलेक्टर का कहना है, “ज्यादातर लोग कानूनी तरीके से टैक्स देकर कार खरीदते हैं। लेकिन तस्करी के मामलों से हर मालिक शक के दायरे में आ जाता है।” धिकारियों की भी यही चिंता है। उनका कहना है कि भूटान रजिस्ट्रेशन वाली गाड़ियां साफ संकेत देती हैं कि टैक्स चोरी की जा रही है। लेकिन असली खतरा यह है कि ऐसी गाड़ियों का बीमा नहीं हो सकता और न ही इन्हें कानूनी रूप से ट्रांसफर किया जा सकता है।
अधिकारियों के मुताबिक, कारों को पहले भूटान में कानूनी तरीके से लाया जाता था और वहां के कम टैक्स स्ट्रक्चर का फायदा उठाते हुए उन्हें भारत में तस्करी कर बेचा जाता था। खरीदारों को आधिकारिक बाजार से कम दाम पर गाड़ियां मिलतीं, लेकिन यह पूरी तरह अवैध होता। यह नेटवर्क केवल केरल तक सीमित नहीं बल्कि दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु तक फैला हो सकता है।
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कार प्रेमी मानते हैं कि यह पैशन कभी खत्म नहीं होगा, लेकिन इसे सुरक्षित और कानूनी दायरे में रखना जरूरी है। फैसल रहमान कहते हैं, “यहां कारें सपनों का हिस्सा हैं। लेकिन इन्हें कानूनी तरीके से खरीदना ही सही है, वरना यह पैशन बदनाम हो जाएगा।” ताजा कार्रवाई में 30 से ज्यादा जगहों पर छापे मारे गए और सिर्फ कोझिकोड व मलप्पुरम से ही 11 गाड़ियां जब्त की गईं। इन्हें अब करिपुर एयरपोर्ट स्थित कस्टम्स ऑफिस ले जाया जाएगा।