EV को लेकर सरकार ने किया नया फैसला। (सौ. Pixabay)
EV 15 Year Rule: भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा कदम उठाने जा रही है। अब 15 साल पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे कार, बस और ट्रक को सड़क से हटाने की ज़रूरत नहीं होगी। इसका मतलब है कि ईवी वाहन अब 15 साल बाद भी कानूनी तौर पर चल सकेंगे। इससे न सिर्फ़ ईवी की उम्र बढ़ेगी, बल्कि खरीदारों की रुचि भी तेज़ी से बढ़ेगी।
फ़िलहाल, पेट्रोल और डीज़ल वाहनों पर 15 साल बाद बंद करने का नियम लागू है, लेकिन EVs को इससे छूट मिलने की संभावना है, जिससे उनका भविष्य और भी टिकाऊ हो जाएगा।
नीति आयोग के सदस्य राजीव गौबा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में इस बात पर चिंता जताई गई कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की गति अभी भी बहुत धीमी है। वर्तमान में देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बाजार हिस्सेदारी केवल 7.6% है, जबकि सरकार का लक्ष्य 2030 तक इसे बढ़ाकर 30% करना है। इसी दिशा में अब बसों, ट्रकों और व्यावसायिक वाहनों पर CAFE (Corporate Average Fuel Efficiency) मानकों को लागू करने की योजना है, हालाँकि इसमें इलेक्ट्रिक वाहनों को कुछ राहत दी जाएगी।
सड़क परिवहन सचिव वी. उमाशंकर ने बैठक में बताया कि 15 साल से ज़्यादा पुरानी ज़्यादातर बसें निजी मालिकों के पास हैं। इस अनुभव को ध्यान में रखते हुए, नीति आयोग ने सुझाव दिया कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर End of Life (EoL) नियम को हटा दिया जाना चाहिए। इससे इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को नई गति मिलेगी।
सरकार अब सिर्फ़ प्रोत्साहन देने तक सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अनिवार्य बनाने की नीति पर काम कर रही है। जिन इलाकों में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बुनियादी ढाँचा तैयार है, वहाँ इन्हें अनिवार्य किया जाएगा। इसके साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहन न अपनाने वालों के लिए एक हतोत्साहन नीति भी लाई जा सकती है।
सरकार ने पांच शहरों को चुना है जहां पूरी तरह इलेक्ट्रिक बसें, ऑटो और मालवाहक वाहन ही चलाए जाएंगे। इससे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में एक ठोस शुरुआत होगी।
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EV को सफल बनाने के लिए चार चीजें सबसे अहम मानी जा रही हैं –
हालांकि, बैंक अभी भी EV लोन देने में हिचक रहे हैं, जिसका कारण बैटरियों की ज्यादा कीमत और सीमित जीवन (6–7 साल) है। चूंकि बैटरी EV की कुल लागत का 40–50% हिस्सा होती है, इसे सस्ता बनाना जरूरी है। सरकार से आग्रह किया गया है कि वह बैटरी के लिए स्पष्ट मानक तय करे और सब्सिडी या वित्तीय सहायता प्रदान करे।