EV ने भारत में अपनी बिक्री का आंकड़ा बढ़ाया। (सौ. Freepik)
भारत में FY2025 के आंकड़े यह साफ दिखाते हैं कि देश की ऑटो इंडस्ट्री अब तेज़ी से इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर बढ़ रही है। पहली बार इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बिक्री ने हाइब्रिड कारों को पीछे छोड़ दिया है। जहां इलेक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 2.3% रही, वहीं हाइब्रिड गाड़ियां 2.2% पर रह गईं। इस दौरान भारत में लगभग 1,15,716 EVs और 1,04,800 हाइब्रिड कारें बेची गईं। यह फर्क भले ही मामूली लगे, लेकिन इसका महत्व बहुत बड़ा है।
EVs की लोकप्रियता बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है सरकारी प्रोत्साहन। इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर सिर्फ 5% GST लगता है, जबकि हाइब्रिड वाहनों पर यह दर 43% तक पहुंचती है। साथ ही, कई राज्यों में EVs पर रजिस्ट्रेशन फीस माफ होती है और सीधी सब्सिडी भी मिलती है। इससे इलेक्ट्रिक गाड़ियां न केवल खरीदने में सस्ती पड़ती हैं, बल्कि चलाने में भी किफायती साबित हो रही हैं।
देशभर में अब तक 12,000 से अधिक चार्जिंग पॉइंट्स स्थापित हो चुके हैं। शहरों के अलावा हाइवे, सोसाइटीज़ और ऑफिस पार्किंग्स में भी चार्जिंग सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे रेंज एंग्जायटी यानी दूरी को लेकर चिंता काफी हद तक खत्म हो गई है।
जहां हाइब्रिड मॉडल्स गिने-चुने हैं, वहीं EV सेगमेंट में ₹8 लाख की टाटा टियागो EV से लेकर ₹60 लाख की BMW i4 और Kia EV6 तक कई विकल्प हैं। हर वर्ग के लिए कुछ ना कुछ मौजूद है, जो बाजार में इनकी पकड़ को मजबूत कर रहा है।
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हाइब्रिड कारें भले ही अच्छा माइलेज देती हों, लेकिन इन पर भारी टैक्स लगने और ज्यादा कीमत के कारण इनकी डिमांड घट रही है। मारुति सुजुकी ग्रैंड विटारा, टोयोटा हाईराइडर, और इनोवा हाईक्रॉस जैसी गाड़ियां ही प्रमुख हाइब्रिड मॉडल हैं। लेकिन EVs की तुलना में ये अब कम आकर्षक लगने लगी हैं।
अब इलेक्ट्रिक गाड़ियां लोगों की समझदारी भरी पसंद बन चुकी हैं। EVs की साइलेंट ड्राइव, कम मेंटेनेंस, और सरकारी सपोर्ट के कारण उपभोक्ता इन्हें अपना रहे हैं। मारुति की पहली EV eVitara जल्द आ रही है और हुंडई, महिंद्रा, किया जैसी कंपनियां भी नए मॉडल्स ला रही हैं। टोयोटा भी अपनी रणनीति बदल रही है।