नई दिल्ली/मुंबई. वैसे तो आप जब भी कोई नया काम करते हैं वो थोडा कठिन ही लगता है। इसी करम में जब आप पहली बार कंप्यूटर (Computer) पर टाइपिंग (Typing) करने के लिए बैठे होंगे तो ये काम आपको काफी मुश्किल लगा होगा। क्योंकि आप आसानी से कीबोर्ड में मौजूद अल्फाबेट्स को नहीं ढूंढ पाते हैं जिससे आपके टाइपिंग करने में भी काफी समय लग जाता है। इस दौरान आपको दिमाग में अक्सर आया होगा कि आखिर कीबोर्ड में अल्फाबेट एक लाइन में ही क्यों नहीं हैं।
तब आपके दिमाग में आया तो यह भी होगा कि कम से कम ABCD को तो इधर-उधर लिखने की बजाय एक लाइन में लिखा गया होता तो टाइपिंग करने में काफी आसानी होती। तो जनाब आपको बता दें कि दरअसल ये बिल्कुल सोच-समझकर लिया गया फैसला है जो कि हमारी समझ में काफी देरी से आता है। वहीं आगे चलकर हम बिना कीबोर्ड की तरफ देखे काफी तेजी में टाइपिंग करने भी लग जाते हैं।
क्या है इसका कारण
दरअसल, आपको पता होगा कि कीबोर्ड से पहले टाइपराइटर चला करते थे जो कि बिल्कुल इसी फॉर्मेट में काम करते थे जिसके बाद अब तक वैसा ही चलता आ रहा है। जानकारी ले लिए बता दें कि साल 1868 में क्रिस्टोफर लेथम शॉल्स ने टाइपराइटर का आविष्कार किया था। उस दौरान ABCDE सीरिज में अल्फाबेट लगाए गए थे, लेकिन उससे उम्मीद के मुताबिक स्पीड और आसानी से इसपर टाइपिंग नहीं हो पा रही थी।
इससे टाइपराइटर में भी टाइपिंग करना बहुत मुश्किल भरा काम साबित हो रहा था। टाइपिंग के समय कुछ अक्षर काफी नजदीक होते थे और उनका बार-बार प्रयोग किया जाना था और वहीं कुछ अक्षरों की काफी कम जरूरत पड़ती थी तो इसके लिए अंगुलियों को पूरे कीबोर्ड पर ही घुमाना पड़ता था। जिससे टाइपिंग और भी स्लो हो जाती थी।
इसके बाद जब QWERTY कीबोर्ड चलन में आया तो इसने जरूरी अक्षरों को उंगलियों की पहुंच में ही रख दिया गया। हालाँकि इससे पहले Dvorak फॉर्मेट भी आया, लेकिन वो भी तब चला नहीं और फ्लॉप हुआ। इसके बाद लोगों को सबसे ज्यादा QWERTY कीबोर्ड पसंद आया इसलिए यह अब तक चलन में रहा। तो आप समझे न कि, कीबोर्ड में ABCD एक लाइन में क्यों नहीं लिखा होता।