चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (फोटो- सोशळ मीडिया)
बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 5 जुलाई से ब्राजील में शुरू हो रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे। एक दशक में ऐसा पहली बार होगा जब जिनपिंग इस सम्मेलन का हिस्सा नहीं बनेंगे। उनकी जगह प्रधानमंत्री ली क्यांग इसमें हिस्सा लेंगे। इसकी जानकारी चीन के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को दी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने बताया कि राष्ट्रपति जिनपिंग की जगह प्रधानमंत्री ली क्यांग ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीन का प्रतिनिधित्व करेंगे। हालांकि माओ ने अपने बयान में यह नहीं बताया कि जिनपिंग किन कारणों से शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का फैसला किया है।
माओ निंग ने बताया कि प्रधानमंत्री ली निमंत्रण पर 5 से 8 जुलाई तक ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित होने वाले 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। हालांकि निंग इन सवालों से बचते नजर आए जिनमें उनसे जिनपिंग के ब्राजील न जाने के कारणों के बारे में पूछा गया। शी जिनपिंग 12 साल से चीन की सत्ता पर काबिज हैं और वो हर बार ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का हिस्सा बने हैं।
वहीं, भारत के विदेश मंत्रालय ने यह पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स में हिस्सा लेने के लिए ब्राजील जाएंगे। इस बार ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर बने ब्रिक्स में पांच अतिरिक्त सदस्य मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को शामिल किया गया है।
रूस पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस साल ब्राजील में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शामिल नहीं होंगे। क्रेमलिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव ने जानकारी दी थी कि इस सम्मेलन में रूस की ओर से विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भाग लेंगे, जबकि राष्ट्रपति पुतिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअली इसमें हिस्सा लेंगे। उशाकोव ने पिछले महीने इस बात की पुष्टि की थी।
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गौरतलब है कि पुतिन ने 2023 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भी हिस्सा नहीं लिया था। उस समय इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने यूक्रेन के अनुरोध पर उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। चूंकि ब्राजील भी ICC का सदस्य है, इसलिए उस पर इस वारंट का पालन करने की बाध्यता होती, जिसके चलते पुतिन का दौरा संभव नहीं हो सका।