मोहन मुनासिंघे ने दी परमाणु युद्ध का चेतावनी, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
World News Hindi: दुनिया अब तीसरे विश्व युद्ध के संकट के करीब खड़ी है और एशिया में भी चिंता लगातार बढ़ रही है। श्रीलंका के नोबेल पुरस्कार विजेता मोहन मुनासिंघे ने चेतावनी दी है कि परमाणु युद्ध का खतरा पहले से कहीं अधिक बढ़ गया है। उन्होंने एशियाई देशों के नेताओं से शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठाने की अपील की।
मुनासिंघे ने हाल ही में चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भारत, चीन और रूस के नेताओं के बीच हुई सौहार्दपूर्ण बातचीत को विश्व शांति के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत किया।
दुबई में पिछले हफ्ते आयोजित एक शांति पहल कार्यक्रम के दौरान, मुनासिंघे ने मीडिया को बताया कि आज ग्लोबल साउथ, विशेष रूप से एशिया, दुनिया में नेतृत्व की भूमिका निभा रहा है। यहां “ग्लोबल साउथ” उन देशों को कहा जाता है जिन्हें अक्सर विकासशील या कम विकसित माना जाता है। ये देश मुख्यतः अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में पाए जाते हैं।
2007 में नोबेल शांति पुरस्कार जीतने वाले श्रीलंका के शिक्षाविद और अर्थशास्त्री मोहन मुनासिंघे ने भारत, चीन और रूस के बीच बढ़ती दोस्ती पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक साथ मौजूदगी बहुत ही प्रतीकात्मक है, क्योंकि ये तीनों एशिया के सबसे बड़े और शक्तिशाली देश हैं।
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मुनासिंघे ने इसे दुनिया के लिए शांति का एक उदाहरण बताते हुए कहा कि अगर इतने बड़े नेता आपस में एकजुट हो सकते हैं, तो आम लोग भी एक साथ आ सकते हैं। मुनासिंघे को संयुक्त राष्ट्र के अंतर-सरकारी जलवायु परिवर्तन पैनल (IPCC) के उपाध्यक्ष के रूप में यह सम्मान मिला था।
मुनासिंघे ने कहा कि अब वह समय आ गया है जब एशियाई देश, खासकर भारत और श्रीलंका, दुनिया को शांति और स्थिरता का रास्ता दिखाएं। उन्होंने बताया कि यह वही काम है जो पिछली वैश्विक ताकतों, विशेषकर पश्चिमी देशों ने नहीं कर पाए। उन्होंने चेतावनी दी कि परमाणु युद्ध पहले से कहीं अधिक करीब है और इसे किसी भी कीमत पर रोका जाना चाहिए। मुनासिंघे ने कहा कि विश्व की शांति केवल सरकारों या नेताओं पर निर्भर नहीं करती, बल्कि हम सभी की जिम्मेदारी है। इसलिए पृथ्वी और अपने भविष्य को बचाने के लिए हमें मिलकर शांति के लिए काम करना होगा।