शेख हसीना
नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत के लिए मुसीबत बन चुकी हैं। उन्हें बांग्लादेश भेजने को लेकर भारत धर्म संकट में है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार बार-बार भारत से शेख हसीना को प्रर्त्यपण करने को कह रहा है। अब ये मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने न्यूयॉर्क में आईसीसी यानी अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) के वकील करीम एए खान से मुलाकात की। जिसके बाद से शेख हसीना के प्रत्यर्पण का मामला एक बार फिर से तूल पकड़ लिया। माना जा रहा है कि अगर भारत शेख हसीना को बांग्लादेश प्रत्यपर्ण नहीं करता है तो दोनों देश के बीच हुई संधि टूट सकती है।
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धर्म संकट में भारत
अब ऐसे में भारत क्या कदम उठाएगा, इस पर दुनिया की नजरें टिकी हैं। वैसे तो इसकी संभावना कम है कि भारत शेख हसीना को प्रत्यपर्ण करेगा। हालांकि, भारत और बांग्लादेश के बीच साल 2013 में प्रत्यर्पण संधि की गई थी। इस प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक, दोनों देशों को एक-दूसरे के अपराधी सौंपने पड़ते हैं।
प्रत्यर्पण संधि में और क्या है प्रावधान
दरअसल, भारत और बांग्लादेश के बीच साल 2013 से प्रत्यर्पण संधि है। इसमें प्रावधान है कि अगर किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है, जिसमें कम से कम एक साल की सजा सुनाई गई हो, तो उसे प्रत्यर्पित किया जाएगा। बांग्लादेश ने साल 2015 में अनूप चेतिया को भारत को सौंपा था। ये शख्स असम के अलगाववादी संगठन उल्फा का नेता था। जो साल 1997 में ढाका की जेल में बंद था।
क्या कहती है संधि
बता दें कि दोनों देशों के बीच इस संधि का अनुच्छेद 21(3) दोनों देशों को ये भी अनुमति देता है कि वो यह संधि तोड़ भी सकते हैं। अंदाजा लगाया जा रहा है कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण मामले में भारत यह संधि तोड़ सकता है। हालांकि यह बेहद बड़ा कदम होगा। इसका असर नई दिल्ली और ढाका पर पड़ेगा।
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194 मामले दर्ज
बता दें कि बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना समेत 69 अन्य लोगों के खिलाफ एक बुनकर की हत्या समेत कुल 194 मामले दर्ज किए गए हैं। पिछले महीने पांच अगस्त को ढाका में हुए आरक्षण विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर बांग्लादेश छोड़कर भारत की शरण लेना पड़ा था। तब से वह भारत में ही रह रही हैं।