बिल क्लिंटन (फोटो- सोशल मीडिया)
Bill Clinton Birthday: बिल क्लिंटन का नाम सुनते ही अमेरिका की राजनीति, व्हाइट हाउस और उनके कार्यकाल की याद आती है। लेकिन शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि उनका एक खास रिश्ता उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक छोटे से गांव जाब्रौली से भी है। जिसे उनका दूसरा घर कहा गया।
साल था 2000, जब बिल क्लिंटन बतौर अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आए। उनकी यात्रा में दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद जैसे बड़े शहर शामिल थे। लेकिन इसी दौरान एक ऐसा मोड़ आया जिसने लखनऊ के जाब्रौली गांव को सीधे व्हाइट हाउस से जोड़ दिया। असल में गांव के एक शख्स डॉ एस ए रहमान कई सालों से अमेरिका में बसे थे और क्लिंटन के कार्यकाल के दौरान उन्होंने अपने पैतृक गांव के विकास के लिए मदद मांगी थी। रहमान की अपील ने अमेरिकी राष्ट्रपति का ध्यान खींचा।
व्हाइट हाउस से जाब्रौली के लिए विशेष संदेश आया, जिसमें क्लिंटन ने गांव के विकास और शिक्षा के लिए मदद का आश्वासन दिया। गांव के लोग यह सुनकर हैरान थे। दुनिया की सबसे ताकतवर कुर्सी से उनके गांव का नाम लिया जा रहा था। यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति का ध्यान इतने दूर बसे इस छोटे से गांव की ओर गया था।
2000 में भारत यात्रा के दैरान बिल क्लिंटन
(फोटो- सोशल मीडिया)
गांव में हलचल मच गई। बच्चे अपने स्कूल की दीवारों पर ‘Welcome Mr. President’ लिखने लगे, बुजुर्ग चौपाल पर बैठकर यह चर्चा करने लगे कि क्लिंटन सच में आएंगे या नहीं। हालांकि वे खुद गांव नहीं पहुंचे, लेकिन फाउंडेशन के लोग वहां पहुंचे और गांव के लोगों से मिले और गांव वालों से बात करते उनकी जरूरतों को समझा। इसके बाद उन्हें पूरा किया गया। बिल क्लिंटन ने इस दौरान जाब्रौली को ही गोद ले लिया। यह उन दिनों के लिए एक बड़ी बात थी, जब अंतरराष्ट्रीय नेताओं का ध्यान भारत के गांवों की ओर बहुत कम जाता था।
जाब्रौली के लिए यह घटना एक मील का पत्थर बन गई। गांव के लोग आज भी गर्व से बताते हैं कि उनका नाम अमेरिकी राष्ट्रपति के सामने लिया गया था। गांव के कई बुजुर्गों बताते हैं कि, जब डाकिया एक लिफाफा लाया, जिस पर ‘The White House’ लिखा था। वह सिर्फ एक चिट्ठी नहीं, बल्कि इस छोटे से गांव की अंतरराष्ट्रीय पहचान थी।
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बिल क्लिंटन (फोटो- सोशल मीडिया)
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आज भले ही यह कहानी पुरानी हो गई हो, लेकिन गांव के लिए यह गौरव अब भी ताजा है। बच्चों को स्कूल में यह किस्सा सुनाया जाता है, ताकि वे जान सकें कि सपने कितने भी दूर क्यों न लगें, मेहनत और सही समय पर उठाया गया कदम दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों तक भी आपकी आवाज पहुंचा सकता है।
जाब्रौली के लिए बिल क्लिंटन सिर्फ एक विदेशी नेता नहीं रहे। वे उस उम्मीद के प्रतीक बन गए, जो सीमाओं और भाषाओं से परे है। शायद यही वजह है कि इस गांव का नाम सुनते ही कई लोगों के दिमाग में अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति की याद ताजा हो जाती है।