आतंकियों की नमाज पढ़वाने वाले हाफिज अब्दुल रऊफ को पाक ने आम आदमी बताया
इस्लामाबाद: ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में लश्कर-ए-तैयबा के अड्डे पर मारे गए आतंकियों की नमाज पढ़वाने वाले हाफिज अब्दुल रऊफ को आम आदमी बताने की कोशिश पाकिस्तान पर ही भारी पड़ गई। रऊफ को मासूम बताने के चक्कर में पाकिस्तानी अधिकारी ने जो जानकारी सार्वजनिक की, वह सीधे अमेरिका की आतंकी सूची से मेल खा गई। इससे पाकिस्तान की छवि पर गहरा धक्का लगा है और भारत के लंबे समय से लगाए जा रहे आरोपों को भी मजबूती मिल गई है। इस खुलासे के बाद वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की बड़ी किरकिरी होती दिख रही है।
ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों का अंतिम संस्कार करने वाले आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ को आम आदमी की तरह पेश करने की पाकिस्तान की कोशिश बेनकाब हो गई है। रऊफ की सच्चाई पाकिस्तान के एक बड़े अधिकारी की वजह से सामने आई। उसने रऊफ की अहम जानकारियां सार्वजनिक कर दीं, जिसमें उसका राष्ट्रीय पहचान नंबर भी शामिल है। रऊफ की जानकारियां अमेरिका के प्रतिबंधित आतंकियों की सूची के डेटाबेस में मौजूद जानकारियों से मेल खाती हैं।
रऊफ की पहचान उजागर कर फंसा पाकिस्तान
पाकिस्तानी अधिकारी द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में रऊफ की व्यक्तिगत जानकारी साझा की गई, जिसमें उसका नाम, जन्मतिथि, पता और राष्ट्रीय पहचान संख्या तक शामिल थी। यही विवरण अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में पहले से मौजूद हैं। रऊफ को लंबे समय से लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य माना जाता रहा है और वह इसके संस्थापक से भी जुड़ा रहा है। उसके कई ठिकानों का ज़िक्र अमेरिकी डेटाबेस में भी दर्ज है, जिससे उसकी भूमिका और पुख्ता हो जाती है।
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भारत के आरोपों को मिला समर्थन
इस घटना ने भारत के उस आरोप को और बल दिया है, जिसमें पाकिस्तान पर आतंकी संगठनों को संरक्षण देने की बात कही जाती रही है। रऊफ द्वारा आतंकियों की अंतिम नमाज का नेतृत्व करने और सेना के अधिकारियों के साथ उसकी तस्वीरों के सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान के भीतर आतंकियों को सम्मान दिया जा रहा है। यह भी सामने आया है कि पाकिस्तान की प्रमुख राजनीतिक हस्तियों ने भी मारे गए आतंकियों को श्रद्धांजलि दी, जिससे उसकी मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।