एक साथ 28 टैंकर एयरक्राफ्ट! मिडिल-ईस्ट की ओर बढ़ रही अमेरिकी सेना
वॉशिंगटन: ईरान-इजरायल युद्ध के बीच रविवार शाम को दो दर्जन से ज्यादा अमेरिकी वायुसेना के एरियल रिफ्यूलिंग टैंकर एयरक्राफ्ट फ्लाइट-ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर पर देखे गए। इनमें केसी-135आर तथा केसी-46ए टैंकर शामिल थे। यह सभी टैंकर हवा में लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने का काम करते हैं। फ्लाइट-ट्रैकिंग के दौरान 28 की संख्या में यह अमेरिकी एरियल रिफ्यूलर अटलांटिक के ऊपर पूर्व की तरफ बढ़ रहे थे।
अभी ये साफ नहीं है कि वे अपने साथ लड़ाकू विमानों को लेकर जा रहे थे या नहीं। दरअसल, मिशन के दौरान लड़ाकू विमान अपने ट्रांसपोंडर बंद कर लेते हैं। ऐसे में सामान्य फ्लाइट ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर से इनको नहीं देखा जा सकता है।
एक साथ 28 मिलिट्री एरियल रिफ्यूलर टैंकरों की आवाजाही सामान्य बात नहीं है। खासकर मिडिल-ईस्ट संकट के बीच इनकी सामूहिक उड़ान ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया है। इतने बड़े पैमाने पर एरियल रिफ्यूलरों की तैनाती के सटीक वजह फिलहाल किसी को पता नहीं है। हालांकि ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अमेरिका इजरायल तथा ईरान के बीच मौजूदा संघर्ष में बदलाव या संभावित बदलाव को लेकर तैयारी कर रहा है।
सभी टैंकरों के फ्लाइट ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर पर देखे जाने के बाद सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस छिड़ गई है। यूजर्स पूछ रहे हैं कि अमेरिका को आखिर ऐसी क्या जरूरत पड़ गई कि उसने एक साथ 28 एरियल रिफ्यूलर एयरक्राफ्ट को हवा में उड़ा दिया। इसम मले में बड़ी बात तो ये है कि यह सभी रिफ्यूलर एक साथ पूर्व की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं, जिस तरफ यूरोप, मध्य पूर्व और एशिया है। कुछ लोगों का मानना है कि नॉर्वे में एक बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास शुरू होने वाला है, लेकिन इसके लिए हवा में ईंधन भरने वाले इतने अधिक विमानों को तैनात करने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा कोई अन्य स्पष्ट अभ्यास या प्रतिबद्धता नहीं है जिसके लिए ऐसे ऑपरेशन की आवश्यकता होगी।
बता दें कि इजरायल के पास मजबूत हवाई ईंधन भरने की क्षमता नहीं है, उसके पास सैकड़ों लड़ाकू विमानों को समर्थन करने के लिए केवल कुछ पुराने 707 टैंकर ही उपलब्ध हैं। ईरान में लंबी दूरी के अटैक के लिए सॉर्टी जनरेशन की बात करें तो ये एक बहुत बड़ा सीमित कारक है। ये इस बात को भी गंभीर रूप से सीमित करता है कि विमान अपने निर्धारित टारगेट क्षेत्र में एक बार कितनी देर तक स्टेशन पर रह सकते हैं और वे ईरानी क्षेत्र में कितनी गहराई तक घुस कर सकते हैं।