
तुर्की ने कतर और ओमान से पुराने यूरोफाइटर जेट्स खरीदे (सोर्स- सोशल मीडिया)
Turkey will buy Eurofighter Typhoon Jets: तुर्की के राष्ट्रपति, रेसेप तैयप एर्दोगन ने बताया कि तुर्की कतर और ओमान के साथ बातचीत कर रहा है, ताकि वहां से पुराने यूरोफाइटर टाइफून जेट्स खरीदे जा सकें। इसका उद्देश्य तुर्की की एयर फोर्स की क्षमता को तत्काल बढ़ाना है, जब तक कि देश का स्वदेशी विकसित पांचवीं पीढ़ी का केएएएन लड़ाकू विमान पूरी तरह से तैयार नहीं हो जाता।
एर्दोगन ने गुरुवार को मीडि से करते हुए कहा कि, हमने कतर और ओमान के साथ यूरोफाइटर जेट्स की खरीद को लेकर बातचीत की है। यह तकनीकी रूप से जटिल मामला है, लेकिन बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है। यह बयान उनके खाड़ी देशों के दौरे के दौरान आया, जिसमें कुवैत, कतर और ओमान शामिल थे। ये चार देश मिलकर यूरोफाइटर जेट्स का निर्माण करते हैं।
तुर्की और ब्रिटेन ने जुलाई में यूरोफाइटर जेट्स की बिक्री को लेकर एक प्रारंभिक समझौता किया था। यूरोफाइटर जेट्स को यूके, जर्मनी, इटली और स्पेन मिलकर बनाते हैं। इसके अतिरिक्त, तुर्की अब गल्फ देशों से सेकेंड हैंड जेट्स खरीदने की कोशिश कर रहा है, ताकि अपनी एयर फोर्स की तात्कालिक आवश्यकताओं को पूरा कर सके। यूरोफाइटर जेट्स को जमीन पर लक्ष्य नष्ट करना से लेकर समुद्री हमला और रडार जैमिंग तक में सक्षम माना जाता है।
तुर्की ने कुल 120 लड़ाकू जेट्स खरीदने की योजना बनाई है, जिसमें 40 यूरोफाइटर जेट्स, 40 अमेरिकी एफ-16 जेट्स और 40 एफ-35 जेट्स शामिल हैं। यह एक संक्रमणकालीन बेड़ा है, ताकि 2028 तक केएएएन जेट के सेवा में आने तक तुर्की की एयर फोर्स मजबूत रहे।
एर्दोगन ने कुवैत, कतर और ओमान की अपनी तीन दिवसीय यात्रा में रक्षा सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए। तुर्की एफ-35 लड़ाकू विमान कार्यक्रम में दोबारा शामिल होने की कोशिश कर रहा है।
2019 में अमेरिका ने तुर्की को एफ-35 लड़ाकू विमान कार्यक्रम से बाहर कर दिया था, क्योंकि अंकारा ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदी थी। वॉशिंगटन ने इसे सुरक्षा के लिए खतरा माना, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
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हाल ही में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान तुर्की की एफ-35 कार्यक्रम में पुनः शामिल होने की मांग उठाई। इसके अलावा, अपने खाड़ी दौरे के दौरान तुर्की ने कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें रक्षा क्षेत्र से जुड़े समझौते भी शामिल थे।






