HTS अब आतंकवादी नहीं, अमेरिका का चौंकाने वाला फैसला, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
वांशिगटन: डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी मई में मध्य पूर्व यात्रा के दौरान किए गए एक बड़े वादे को निभा दिया है। अमेरिकी प्रशासन के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को बताया कि ट्रंप सरकार ने सीरिया स्थित ‘हयात तहरीर अल-शाम’ (जिसे पहले अल-नुसरा फ्रंट के नाम से जाना जाता था) को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) की सूची से हटा दिया है।
यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू अमेरिका की यात्रा पर हैं। गौरतलब है कि नेतन्याहू लंबे समय से HTS के लड़ाकों को इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा मानते आए हैं। अल-नुसरा फ्रंट कभी सीरिया में अल-कायदा की शाखा था, लेकिन बाद में खुद को अलग कर ‘हयात तहरीर अल-शाम’ नाम अपना लिया।
मार्को रुबियो ने अपने बयान में कहा कि वे राष्ट्रपति ट्रंप की 13 मई को किए गए वादे के तहत सीरिया को दी जा रही प्रतिबंधों में राहत के हिस्से के रूप में अल-नुसरा फ्रंट, जिसे अब हयात तहरीर अल-शाम (HTS) कहा जाता है, उसको विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) की सूची से हटा रहे हैं। यह आदेश 8 जुलाई से प्रभावी होगा।
उन्होंने बताया कि यह फैसला सीरियाई प्रशासन द्वारा HTS को भंग करने की घोषणा और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की प्रतिबद्धता को देखते हुए लिया गया है। रुबियो के मुताबिक, यह निर्णय सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा द्वारा किए गए सकारात्मक प्रयासों से लिया गया है। उन्होंने कहा कि FTO सूची से HTS को हटाना राष्ट्रपति ट्रंप के एक शांतिपूर्ण, एकीकृत और स्थिर सीरिया के विज़न की दिशा में एक अहम कदम है।
PM मोदी का ब्रासीलिया में धमाकेदार स्वागत, शिव तांडव से गूंजा पूरा माहौल
राष्ट्रपति ट्रंप ने 13 मई को अपनी मध्य पूर्व यात्रा के दौरान घोषणा की थी कि वह सीरिया पर लगे सभी प्रतिबंध हटाने वाले हैं। हालांकि, व्हाइट हाउस में इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के साथ डिनर के दौरान मीडिया से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला कई देशों की अपील पर लिया गया है, जिनमें नेतन्याहू भी शामिल हैं।
जब नेतन्याहू से यह सवाल किया गया कि क्या वह सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा की सरकार के साथ अमेरिका के रिश्तों में तेजी से आ रही नजदीकी को लेकर सहज महसूस करते हैं, तो उन्होंने कहा कि अब ईरान और उसके सहयोगी गुटों का क्षेत्र में प्रभाव घट रहा है, जिससे स्थिरता, सुरक्षा और अंततः शांति स्थापित करने के नए अवसर सामने आ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दमिश्क की नई सरकार के साथ संवाद शुरू करने की दिशा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहल काबिल-ए-तारीफ है।