डोनाल्ड ट्रंप (सोर्स- सोशल मीडिया)
US No Kings Protest: अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ ‘नो किंग्स’ नाम से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जिसमें लाखों की संख्या में लोग शामिल होकर ट्रंप की नीतियों और उनके सत्तावादी रवैये के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ट्रंप की विचारधारा अमेरिका की लोकतांत्रिक पहचान को खतरे में डाल रही है।
जानकारी के मुताबिक, वाशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, शिकागो, लॉस एंजेलिस, अटलांटा, लंदन, मैड्रिड और सिडनी जैसे प्रमुख शहरों के साथ-साथ कई रिपब्लिकन राज्यों की राजधानियों में करीब 2,500 जगहों पर एक साथ प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए हैं जिनपर ‘लोकतंत्र की रक्षा करो’ और ‘सच्ची देशभक्ति सत्ता का विरोध है’ जैसे नारे लिखें नजर आए।
वहीं, ट्रंप ने एक इंटरव्यू में खुद को “राजा” माने जाने की बात को नकारा, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल अकाउंट पर एआई-जनरेटेड वीडियो साझा किए। इन वीडियो में वे ताज और शाही लिबास में दिखाई दिए, जिनमें वे लड़ाकू विमान से प्रदर्शनकारियों पर अपमानजनक सामग्री गिरा रहे थे।
एक अन्य वीडियो में उन्हें राजा के रूप में दिखाया गया, जबकि डेमोक्रेट नेताओं को उनके सामने झुकते हुए दर्शाया गया। इन वीडियो ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस को जन्म दिया। आलोचकों ने इसे ट्रंप का डिजिटल प्रोपेगैंडा बताया। ट्रंप फ्लोरिडा स्थित मार-ए-लागो में अपने विकेंड की छुट्टियां मना रहे थे। इस मुद्दे पर न तो व्हाइट हाउस और न ही रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान आया।
यह आंदोलन इस साल अमेरिका में हो रहा तीसरा सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन है। जून में भी इसी तरह के “नो किंग्स” प्रदर्शन दो हजार से अधिक स्थानों पर आयोजित किए गए थे। एक पूर्व सीआईए अधिकारी ने बताया कि उन्होंने विदेशों में चरमपंथ से लड़ाई लड़ी, लेकिन अब वही खतरा उन्हें अपने ही देश में दिख रहा है।
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उन्होंने ट्रंप पर लोकतंत्र को कमजोर करने और देश को विभाजन की ओर ले जाने का आरोप लगाया। इसके अलावा कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों का कहना है कि यह आंदोलन केवल विरोध नहीं, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का प्रयास है एक ऐसी लड़ाई, जो सत्ता नहीं, बल्कि स्वतंत्रता और समानता के लिए लड़ी जा रही है।