परमाणु विस्फोट। इमेज-एआई। प्रतीकात्मक
Russia NATO Nuclear Warning: रूस और पश्चिमी देशों के बीच कई साल से चला आ रहा तनाव अब चरम पर है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी सहयोगी सर्गेई रयाबकोव ने वाल्दाई डिस्कशन क्लब में कहा है कि रूस अब पीछे हटने के मूड में नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि जो बाइडन प्रशासन ने रूस को रणनीतिक रूप से हराने की जो कोशिशें 2024 में शुरू की थीं, वे बेहद उकसाने वाली थीं। रयाबकोव ने विशेष रूप से ब्रिटेन और फ्रांस को आड़े हाथों लिया, जिन्हें उन्होंने नाटो के सबसे युद्ध के समर्थक सदस्य बताया। रूस का कहना है कि ये देश यूक्रेन को लगातार हथियार और समर्थन देकर आग में घी डाल रहे हैं।
न्यूज वीक की रिपोर्ट के अनुसार यह चेतावनी तब आई है, जब एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन शांति वार्ता की कोशिशें कर रहा तो दूसरी तरफ युद्ध के मैदान में हमले और तेज हो गए हैं। रूस ने स्पष्ट किया है कि नाटो देशों ने सीधे तौर पर युद्ध में दखल दिया तो रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकिचाएगा। उसके परिणाम पूरी दुनिया के लिए भयावह होंगे।
रूस की चेतावनी का सबसे गंभीर हिस्सा परमाणु हथियारों से जुड़ा है। रयाबकोव ने कहा कि जब दो परमाणु शक्तियां भिड़ती हैं तो जीत किसी की नहीं होती, बल्कि पूरी दुनिया हारती है। रूस का मानना है कि नाटो अब छद्म युद्ध के बजाय सीधे टकराव की ओर बढ़ रहा है। रूसी भाषा में कैटास्ट्रोफिक शब्द का इस्तेमाल किया गया है। इसका मतलब है ऐसी तबाही, जिससे उबरना नामुमकिन हो। इसमें करोड़ों लोगों की जान जाना और पर्यावरण का पूरी तरह नष्ट होना शामिल है। रूस ने कहा है कि उसकी संप्रभुता को खतरा हुआ तो वह अपने परमाणु सिद्धांतों के तहत कड़ी कार्रवाई करेगा।
सर्गेई रयाबकोव ने विशेष रूप से ब्रिटेन और फ्रांस की भूमिका की आलोचना की है। उन्होंने इन देशों को रूस के प्रति सबसे अधिक आक्रामक बताया। ब्रिटेन और फ्रांस ने यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें और आधुनिक युद्धक विमान देने का वादा किया है, जिसे रूस रेड लाइन पार करना मानता है। रयाबकोव के अनुसार ये देश अमेरिका से ज्यादा तेजी से रूस के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं। यह पूरे यूरोप को युद्ध की आग में झोंक सकता है।
इस साल की शुरुआत से ट्रंप के नेतृत्व वाली नई सरकार रूस और यूक्रेन के बीच शांति समझौता कराने की कोशिश कर रही है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की की टीम वर्तमान में फ्लोरिडा में ट्रंप के दूतों के साथ बैठक कर रही, ताकि युद्ध विराम के किसी दस्तावेज पर सहमति बन सके। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्पष्ट किया है कि समझौता तभी होगा, जब दोनों पक्ष कुछ खोने और कुछ पाने के लिए तैयार हों। अंतिम फैसला रूस और यूक्रेन को लेना है, अमेरिका केवल मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।
चेतावनियों के बीच जंग तेज हो गई है। सोमवार को यूक्रेन ने रूस में तेल टर्मिनलों, पाइपलाइनों और दो लड़ाकू विमानों पर बड़ा हमला किया। मॉस्को में एक कार बम धमाके में एक शीर्ष रूसी जनरल की मौत हो गई है। रूस को शक है कि हमले के पीछे यूक्रेन की खुफिया एजेंसियों का हाथ है। ऐसे में इन हमलों के बावजूद रूसी सेना यूक्रेन के घरेलू मोर्चों पर लगातार दबाव बना रही और आगे बढ़ रही है।
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दुनिया की नजरें अब कूटनीतिक हलचलों पर टिकी हैं। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने घोषणा की है कि वे साल खत्म होने से पहले रूसी संस्थाओं पर कई नए कड़े प्रतिबंध लगाने जा रहे हैं। यूक्रेन चाहता है कि युद्ध खत्म होने के बाद उसे पुख्ता सुरक्षा गारंटी मिले। वहीं, रूस चाहता है कि नाटो कभी भी पूर्व की ओर विस्तार न करे।
रूस की ताजा परमाणु चेतावनी एक कोरी धमकी नहीं है, बल्कि यह उस हताशा को दिखाती है, जो नाटो की दखलंदाजी से रूस महसूस कर रहा है। सर्गेई रयाबकोव के बयान ने स्पष्ट किया है कि दुनिया शांति और विनाश के बीच एक पतली लकीर पर चल रही है। ऐसे में कूटनीति विफल रहती है और रूस-नाटो के बीच सीधा संघर्ष छिड़ता है तो इतिहास में इसे मानवता की सबसे बड़ी भूल के रूप में याद किया जाएगा।