थाईलैंड-कंबोडिया में फिर बढ़ा तनाव (सोर्स- सोशल मीडिया)
Thailand Air Strikes Cambodia Border: थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद फिर से बढ़ गया है, हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता में कुछ महीने पहले एक युद्धविराम समझौता हुआ था। हाल ही में, थाईलैंड ने कंबोडिया की सीमा पर हवाई हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया। थाई सेना ने बयान जारी करते हुए ताजा संघर्ष की जानकारी साझा की है।
थाई सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल विंथाई सुवारी ने बताया कि उबोन रत्चाथानी प्रांत में दो जगहों पर नए संघर्ष हुए, जिसमें एक थाई सैनिक की मौत हो गई और चार अन्य घायल हो गए। यह विवाद जुलाई 2025 में पांच दिन तक चले युद्ध में बदल गया था, जिसके बाद ट्रंप और मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने सीजफायर समझौता कराया था। हालांकि, यह समझौता दो महीने से भी कम समय तक चला।
थाईलैंड ने कंबोडिया पर सीमा पर भड़काऊ कार्रवाई का आरोप लगाया है, और रॉयल थाई आर्मी के कमांडरों ने बताया कि सीमा पर टकराव बढ़ रहे हैं। थाई सेना ने कंबोडिया के हमलों का जवाब देने के लिए युद्धक विमान तैनात किए हैं। थाई सेना के मुताबिक, कंबोडिया ने सीमा पर भारी हथियार भेजे और लड़ाकू सैनिक तैनात किए, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
Thailand launches airstrikes on Cambodian military bases after border clash kills 01 Thai soldier. Trump-brokered October ceasefire collapses. Tensions escalate rapidly. pic.twitter.com/HmPLTWeEdi — ARIKA🇮🇳🚩 (@nidhisj2001) December 8, 2025
कंबोडिया ने इसके जवाब में आरोप लगाया कि थाईलैंड ने उसके सैनिकों पर “क्रूर” हमले किए, जो द्विपक्षीय शांति समझौते का उल्लंघन है। कंबोडिया ने कहा कि थाई सैनिकों ने कई कंबोडियाई ठिकानों पर गोलीबारी की और टैंक गोले दागे। इसके बावजूद, कंबोडिया ने संयम बनाए रखा और जवाबी हमला नहीं किया। कंबोडिया ने शांति और अंतर्राष्ट्रीय समझौतों का पालन करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
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इस सीमा विवाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका अहम रही। उन्होंने जुलाई 2025 में दोनों देशों के नेताओं से बातचीत की और व्यापारिक दबाव डालकर युद्धविराम के लिए राजी किया। 28 जुलाई को सीजफायर प्रभावी हुआ, और 26 अक्टूबर को कुआलालंपुर में हुए आसियान शिखर सम्मेलन में इसका औपचारिक ऐलान किया गया। अब दोनों देशों के बीच फिर से संघर्ष बढ़ने से स्थिति और जटिल हो गई है, और दुनिया भर में शांति के प्रयासों पर सवाल खड़ा हो गया है।