
स्विट्जरलैंड के सेना प्रमुख थॉमस सुसली (सोर्स-सोशल मीडिया)
Swiss Army Chief Thomas Sussli Warning: यूक्रेन और रूस के बीच जारी भीषण युद्ध ने अब यूरोप के सबसे शांत और समृद्ध माने जाने वाले देश स्विट्जरलैंड की नींद उड़ा दी है। स्विट्जरलैंड के सशस्त्र बलों के प्रमुख थॉमस सुसली ने वैश्विक सुरक्षा परिस्थितियों को देखते हुए देश की रक्षा तैयारियों पर बेहद गंभीर चिंता व्यक्त की है।
उनका मानना है कि अगर स्विट्जरलैंड पर कोई बड़ा सैन्य हमला होता है, तो देश की सेना वर्तमान संसाधनों के साथ खुद का बचाव करने में पूरी तरह अक्षम साबित होगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूरे यूरोप में पुतिन की विस्तारवादी नीतियों को लेकर जबरदस्त खौफ का माहौल बना हुआ है।
थॉमस सुसली ने NZZ अखबार को दिए अपने हालिया इंटरव्यू में खुलकर स्वीकार किया कि स्विट्जरलैंड की सेना आधुनिक युद्ध के हिसाब से पर्याप्त रूप से सुसज्जित नहीं है। उन्होंने चौंकाने वाला खुलासा किया कि किसी भी आपातकालीन स्थिति में देश के केवल एक तिहाई सैनिक ही जरूरी सैन्य उपकरणों और हथियारों से लैस हो पाएंगे।
बाकी सैनिकों के पास बुनियादी साजो-सामान की भी कमी होगी जो किसी भी देश की सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है। सेना प्रमुख ने स्पष्ट किया कि यद्यपि स्विट्जरलैंड साइबर हमलों और बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए तैयार है, लेकिन जमीनी स्तर पर बड़े सैन्य आक्रमण को झेलना फिलहाल नामुमकिन है।
स्विट्जरलैंड ऐतिहासिक रूप से अपनी निष्पक्षता यानी न्यूट्रैलिटी के लिए जाना जाता है, लेकिन सुसली ने इस धारणा पर भी प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि यह एक गलतफहमी है कि न्यूट्रल होने का मतलब सुरक्षित होना है क्योंकि इतिहास गवाह है कि कमजोर न्यूट्रल देशों को भी युद्ध में खींच लिया जाता है।
उनके अनुसार न्यूट्रैलिटी का असली महत्व तभी है जब उसे आधुनिक हथियारों और मजबूत सेना के जरिए सुरक्षित किया जा सके। रूस द्वारा यूरोप को अस्थिर करने की कोशिशों के बीच अब स्विट्जरलैंड को अपनी पुरानी सोच को बदलकर रक्षा बजट में भारी इजाफा करने की सख्त जरूरत महसूस हो रही है।
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वर्तमान में स्विट्जरलैंड अपने कुल सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का केवल 0.7 प्रतिशत हिस्सा रक्षा क्षेत्र पर खर्च करता है जिसे बढ़ाकर कम से कम एक प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। सेना प्रमुख ने बताया कि देश अब अपने पुराने उपकरणों को उन्नत बनाने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है।
पुराने लड़ाकू विमानों की जगह अब अत्याधुनिक एफ-35 विमानों को बेड़े में शामिल करने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। साथ ही आर्टिलरी और ग्राउंड कॉम्बैट सिस्टम को भी नए जमाने की जरूरतों के हिसाब से एडवांस बनाया जा रहा है ताकि भविष्य में किसी भी संभावित आक्रमण का मजबूती से सामना किया जा सके।






