बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्लादेश की पहली पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया (सोर्स-सोशल मीडिया)
Battle Of Begums Politics: बांग्लादेश की राजनीति में दशकों तक एक-दूसरे की धुर विरोधी रहीं ‘दो बेगमों’ के युग का एक अध्याय बेहद भावुक मोड़ पर समाप्त हो गया है। BNP अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया के निधन पर भारत में शरण ले रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।
हसीना ने खालिदा जिया के योगदान को याद करते हुए उनके निधन को बांग्लादेशी लोकतंत्र और राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया है। राजनीतिक दुश्मनी को दरकिनार कर शेख हसीना का यह संदेश सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जो दोनों नेताओं के बीच के जटिल ऐतिहासिक रिश्तों को दर्शाता है।
आवामी लीग द्वारा साझा किए गए पोस्ट में शेख हसीना ने खालिदा जिया को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में सम्मान दिया। उन्होंने लोकतंत्र की स्थापना में जिया के संघर्षों की सराहना की और उनके परिवार के प्रति संवेदना जताई। हसीना ने स्वीकार किया कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद खालिदा जिया का नेतृत्व BNP के लिए एक मजबूत आधार था।
बांग्लादेश की सत्ता के लिए इन दोनों नेताओं के बीच दशकों तक चले संघर्ष को दुनिया ‘बैटल ऑफ बेगम्स’ के नाम से जानती है। दोनों ने 1980 के दशक में तानाशाही के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी थी, लेकिन बाद में सत्ता की कुर्सी ने उन्हें धुर विरोधी बना दिया। खालिदा जिया के निधन के साथ ही बांग्लादेशी सियासत का यह सबसे चर्चित और लंबा प्रतिद्वंद्विता वाला दौर खत्म हो गया है।
खालिदा जिया को बांग्लादेश में राष्ट्रपति प्रणाली को हटाकर संसदीय प्रणाली लागू करने का श्रेय दिया जाता है, जिससे प्रधानमंत्री पद शक्तिशाली हुआ। उनके शासनकाल में लिए गए प्रशासनिक निर्णयों ने देश की शासन व्यवस्था को एक नया स्वरूप दिया था। शेख हसीना ने अपने संदेश में इन ऐतिहासिक बदलावों और जिया की निर्णायक भूमिका का सम्मान के साथ उल्लेख किया है।
खालिदा जिया और शेख हसीना की विदेश नीतियां हमेशा एक-दूसरे के विपरीत रहीं, खासकर भारत और चीन के संदर्भ में। जहां हसीना का झुकाव हमेशा भारत की ओर रहा, वहीं खालिदा जिया के कार्यकाल में पाकिस्तान और चीन को अधिक प्राथमिकता दी गई थी। अब उनकी अनुपस्थिति में और हसीना के देश से बाहर होने पर बांग्लादेश की नई विदेश नीति पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हैं।
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80 साल की उम्र में खालिदा जिया का जाना बांग्लादेश की राजनीति में एक बड़े नेतृत्व शून्य को पैदा कर गया है। शेख हसीना ने अपने संदेश में उम्मीद जताई कि देश इस दुख की घड़ी में स्थिर रहेगा और जिया की विरासत को सम्मान देगा। आने वाले चुनावों में इस सहानुभूति संदेश का क्या असर होगा, यह देखना काफी दिलचस्प होने वाला है।