बांग्लादेश में भड़की हिंसा (सोर्स- सोशल मीडिया)
Usman Hadi Death: बांग्लादेश के पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ने में अहम भूमिका निभाने वाले शरीफ उस्मान हादी की 18 दिसंबर को सिंगापुर में मौत हो गई। जैसे ही हादी की मौत की खबर बाहर आई, उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए और हिंसक प्रदर्शन करने लगे। इसे देखते हुए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने तत्काल एक हाई-लेवल मीटिंग बुलाई और स्थिति को संभालने की कोशिश की।
हादी बांग्लादेश के इंकलाब मंच के संयोजक थे और भारत-विरोधी बयानबाजी के लिए जाने जाते थे। उनकी मौत के बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और हिंसा फैल गई। प्रदर्शनकारियों ने ढाका के प्रमुख अखबारों और भारतीय दूतावास के दफ्तरों को निशाना बनाया। इसके अलावा, भारत-विरोधी नारे भी लगाए गए।
हादी की मौत के बाद बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने देशवासियों से शांत रहने की अपील की और कहा कि हादी एक निडर योद्धा थे। उन्होंने वादा किया कि हादी के हत्यारों को सजा दिलाई जाएगी। यूनुस ने हादी के सम्मान में राष्ट्रीय शोक की घोषणा की और मस्जिदों में विशेष प्रार्थना का आयोजन किया।
The demonstrators first targeted the location where the incident occurred & after a while, it turned into a massive anti-India campaign. #Dhaka #Bangladesh #Protest https://t.co/Y2kLDcrddG
The protesters walked the streets screaming at India, blaming it for meddling in the… pic.twitter.com/l19VMmUMpP — ⚡️🌎 World News 🌐⚡️ (@ferozwala) December 18, 2025
इसके अलावा, उन्होंने हिंसा भड़कने के बाद आधी रात को बांग्लादेश के उच्च अधिकारियों की मीटिंग बुलाई। जानकारी के अनुसार, इस बैठक में उन्होंने देश में शांति बहाल करने के लिए कई अहम फैसले लिए। हादी जुलाई 2024 में हुए विद्रोह के प्रमुख नेता थे, जब शेख हसीना की सरकार को चुनौती दी गई थी। वे भारत समर्थक राजनीति के कट्टर आलोचक थे और अवामी लीग पर संवैधानिक प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे थे।
शरीफ उस्मान हादी की मौत की खबर फैलते ही ढाका में हजारों लोग शाहबाद चौराहे पर इकट्ठा हो गए। गुस्साई भीड़ ने चौराहे पर जाम लगा दिया और आरोप लगाया कि अधिकारियों ने हादी की सुरक्षा में लापरवाही बरती। प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां लहराते हुए इस बात का विरोध किया।
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इसके बाद हिंसा और बढ़ गई और प्रदर्शनकारियों ने करवान बाजार स्थित प्रथम आलो के दफ्तर पर हमला किया। कई मंजिलों में तोड़फोड़ की गई, और फर्नीचर व दस्तावेजों को बाहर निकाल कर आग लगा दी। कुछ कर्मचारियों और पत्रकारों को इमारत के अंदर फंसा लिया गया। इसके बाद, उन्होंने डेली स्टार के दफ्तर पर भी हमला किया और आग लगा दी।