सऊदी अरब फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में देगा मान्यता, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Saudi Palestine News: सऊदी अरब ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दिलाने के मुद्दे पर इजरायल के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया है। फ्रांस द्वारा फिलिस्तीन को मान्यता देने के बाद, अब सऊदी अरब संयुक्त राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता करने जा रहा है। इस बैठक में इजरायल और फिलिस्तीन के लिए दो-राष्ट्र सिद्धांत पर चर्चा होगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, यह बैठक 28 और 29 जुलाई को पेरिस में आयोजित होगी। इस मंच पर लंबे समय से ठप पड़े दो-राष्ट्र सिद्धांत को नए सिरे से प्रस्तुत किया जाएगा। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब गाजा में मानवीय संकट को लेकर इजरायल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी आलोचना का सामना कर रहा है।
सऊदी अरब फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा दिलाने की दिशा में सबसे सक्रिय देशों में शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी दुनिया भर में दो-राष्ट्र सिद्धांत यानी इजरायल और फिलिस्तीन के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है। सऊदी की इन्हीं कोशिशों का असर है कि फ्रांस ने भी इजरायल की आपत्ति को दरकिनार करते हुए फिलिस्तीन को मान्यता देने की पहल का समर्थन किया है।
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का मानना है कि अगर फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिल जाता है, तो गाजा समेत अन्य विवादित इलाकों में स्थायी शांति स्थापित हो सकती है। इसी मकसद से सऊदी अरब गाजा में हिंसा रोकने और हमास के साथ शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से भागीदारी निभा रहा है।
सऊदी अरब अब यूएन सम्मेलन के माध्यम से इजरायल के विरोध में कदम बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। फ्रांस के विदेश मंत्री के अनुसार, अब सभी की नजर ब्रिटेन पर टिकी है। अगर ब्रिटेन फिलिस्तीन को मान्यता देने की बात करता है, तो इससे इजरायल के खिलाफ एक बड़ी राजनीतिक चाल साबित हो सकती है।
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चूंकि ब्रिटेन भी फ्रांस की तरह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है, इसलिए अगर ये दोनों देश एक साथ फिलिस्तीन के पक्ष में खड़े होते हैं, तो इजरायल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ सकता है। खासकर तब, जब चीन और रूस पहले से ही इजरायल के विरोध में रुख अपनाए हुए हैं।
इजरायल के प्रधानमंत्री का मानना है कि यदि फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी गई, तो यह क्षेत्र आतंकवादियों का गढ़ बन सकता है। उनका तर्क है कि एक अलग देश बनने के बाद फिलिस्तीन को अपनी सेना और हथियार रखने की अनुमति मिल जाएगी, जिससे सुरक्षा संबंधी खतरे बढ़ सकते हैं।