सऊदी अरब का झंडा (सोर्स-सोशल मीडिया)
Saudi Arabia Targets UAE Weapons Shipment: यमन के रणनीतिक बंदरगाह शहर मुकल्ला में सऊदी अरब की ओर से की गई भीषण बमबारी ने खाड़ी क्षेत्र में हलचल पैदा कर दी है। यह हमला संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से अलगाववादी समूहों के लिए भेजे गए हथियारों की एक बड़ी खेप को नष्ट करने के उद्देश्य से किया गया था। सऊदी अरब ने इस कार्रवाई को यमन की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए एक अनिवार्य कदम बताया है। इस सैन्य अभियान ने यमन के गृहयुद्ध में सक्रिय दो प्रमुख सहयोगियों, सऊदी अरब और यूएई के बीच कूटनीतिक दरार को सार्वजनिक कर दिया है।
सऊदी अरब की वायुसेना ने मुकल्ला बंदरगाह पर उतर रहे उन जहाजों को निशाना बनाया जो यूएई के फुजैरा पोर्ट से आए थे। इन जहाजों में अलगाववादी साउदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) के लिए भारी मात्रा में सैन्य वाहन और आधुनिक हथियार लदे हुए थे। सऊदी सेना ने दावा किया है कि यह एक सटीक हवाई हमला था जिसे आम नागरिकों के नुकसान को रोकने के लिए रात के समय अंजाम दिया गया।
इस हमले के बाद सऊदी अरब और यूएई के रिश्तों में गंभीर खिंचाव देखने को मिल रहा है क्योंकि दोनों देश यमन में अलग-अलग गुटों का समर्थन करते हैं। जहां सऊदी अरब यमन की आधिकारिक सरकार के साथ खड़ा है, वहीं यूएई दक्षिण यमन की आजादी की मांग करने वाले अलगाववादी गुटों को मजबूत कर रहा है। यह घटना दर्शाती है कि क्षेत्रीय वर्चस्व की जंग में अब पुराने साथी ही एक-दूसरे के रणनीतिक हितों के खिलाफ सैन्य बल का प्रयोग करने लगे हैं।
मुकल्ला शहर हद्रामाउट प्रांत का एक प्रमुख केंद्र है और हाल ही में अलगाववादी समूहों ने इस महत्वपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है। सऊदी अरब ने इससे पहले भी इन समूहों को अपनी सेनाएं पीछे हटाने की चेतावनी दी थी लेकिन उनके न मानने पर यह सख्त कार्रवाई की गई। अलगाववादियों द्वारा दक्षिण यमन का पुराना झंडा फहराना और स्वतंत्र देश की मांग करना सऊदी अरब की क्षेत्रीय अखंडता की नीति के लिए चुनौती बन गया है।
इस ताजा बमबारी के बाद यमन में चल रही शांति वार्ताओं को बड़ा झटका लगने की आशंका है क्योंकि अलगाववादी ताकतें अब पलटवार की तैयारी कर रही हैं। खाड़ी के दोनों दिग्गज देश अपनी शक्ति बढ़ाने की कोशिश में हैं जिससे यमन की जनता दशकों से चल रहे गृहयुद्ध के बीच और अधिक पिस रही है। अगर सऊदी और यूएई के बीच का यह कूटनीतिक टकराव और अधिक बढ़ता है तो पूरे मध्य पूर्व की सुरक्षा और तेल व्यापार मार्गों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि मुकल्ला की घटना केवल एक शुरुआत हो सकती है क्योंकि दक्षिण यमन के लोग फिर से विभाजन की मांग पर अड़े हुए हैं। सऊदी अरब किसी भी कीमत पर यमन का विभाजन नहीं चाहता क्योंकि इससे उसकी दक्षिणी सीमा पर सुरक्षा जोखिम बढ़ सकते हैं और ईरान समर्थित तत्वों को लाभ मिल सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस खाड़ी विवाद को सुलझाने के लिए कोई प्रभावी मध्यस्थता कर पाते हैं।