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रेत-धूल बनी ‘साइलेंट किलर’, हर साल 70 लाख की लेती है जान, रिपोर्ट से मचा हड़कंप

WMO Report 2025: तूफान जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण और अस्थायी मानवीय गतिविधियों के चलते एक गंभीर वैश्विक समस्या बनते जा रहे हैं। इन तूफानों से उठने वाले महीन कण हर वर्ष करीब 70 लाख लोगों की समय से...

  • By अमन उपाध्याय
Updated On: Jul 13, 2025 | 12:18 PM

रेत-धूल बनी ‘साइलेंट किलर’, फोटो (सो. सोशल मीडिया)

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संयुक्त राष्ट्र की विश्व मौसम संगठन (WMO) के अनुसार, रेत और धूल के तूफान दुनिया के 150 से अधिक देशों में लगभग 33 करोड़ लोगों को प्रभावित कर रहे हैं। ये तूफान न केवल लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।

डब्ल्यूएमओ की प्रतिनिधि लॉरा पैटरसन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को बताया कि हर साल करीब 2 अरब टन धूल उड़ती है जो मिस्र के 300 गीजा पिरामिडों के कुल भार के बराबर है। उन्होंने यह भी बताया कि विश्व की 80% से अधिक धूल उत्तर अफ्रीका और मध्य पूर्व के रेगिस्तानी क्षेत्रों से आती है। यह धूल हजारों किलोमीटर की दूरी तय करते हुए महाद्वीपों और महासागरों तक फैल जाती है।

हर साल लगभग 70 लाख लोगों की होती है मौत

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने शनिवार को रेत और धूल के तूफानों से निपटने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया और वर्ष 2025 से 2034 तक की अवधि को “संयुक्त राष्ट्र रेत-धूल तूफान दशक” घोषित किया। महासभा अध्यक्ष फिलेमॉन यांग ने कहा कि ये तूफान अब जलवायु परिवर्तन, भूमि के बर्बादी और अस्थायी कृषि व औद्योगिक गतिविधियों के कारण एक गंभीर दुनिया पर संकट बनते जा रहे हैं।

यह भी पढे़ें:- यूनुस की विदाई का बिगुल बजा! चुनाव से पहले बड़ा खेल, इन पार्टियों ने दिया संकेत

उन्होंने बताया कि इन तूफानों से उठने वाले महीन कण हर साल लगभग 70 लाख लोगों की समय से पहले जान ले लेते हैं। ये कण सांस और दिल की बीमारियों को बढ़ावा देते हैं। साथ ही, ये तूफान खेती की पैदावार में 25% तक की गिरावट ला सकते हैं, जिससे भुखमरी और लोगों के विस्थापन जैसी समस्याएं भी बढ़ रही हैं।

ईरान में स्कूल और दफ्तर करने पड़े बंद

संयुक्त राष्ट्र के पश्चिमी एशिया आर्थिक और सामाजिक आयोग की प्रमुख रोल दश्ती ने कहा कि मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में रेत और धूल भरे तूफानों से निपटने में हर साल करीब 150 अरब डॉलर खर्च होते हैं, जो इन देशों की जीडीपी का लगभग 2.5% हिस्सा है। उन्होंने बताया कि इस वसंत में अरब क्षेत्र में आए इन तूफानों ने इराक में अस्पतालों को सांस की बीमारियों से पीड़ित मरीजों से भर दिया, जबकि कुवैत और ईरान में स्कूल और दफ्तर बंद करने पड़े।

दश्ती ने रेत और धूल के तूफानों को वैश्विक और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में शामिल करने की जरूरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि भूमि पुनर्स्थापन, टिकाऊ कृषि और एकीकृत प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों जैसे उपायों को अपनाने के लिए साझा राजनीतिक इच्छाशक्ति और पर्याप्त वित्तीय समर्थन बेहद जरूरी है।

Sand dust storms impact 330 million people worldwide report

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Published On: Jul 13, 2025 | 12:18 PM

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