विदेश मंत्री एस जयशंकर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर 19 मई से 24 मई तक नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे हैं। विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इस दौरे के दौरान वे इन देशों के शीर्ष नेतृत्व और विदेश मंत्रियों से मुलाकात करेंगे। मुलाकातों में द्विपक्षीय सहयोग, व्यापार, प्रौद्योगिकी और भारत-प्रशांत क्षेत्र जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जब भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच रणनीतिक संबंध लगातार प्रगाढ़ हो रहे हैं। विशेष रूप से नीदरलैंड ने 2020 में अपनी भारत-प्रशांत नीति में भारत को एक प्रमुख साझेदार के रूप में मान्यता दी थी। दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध भी मज़बूत हैं। वर्ष 2023-24 में भारत और नीदरलैंड के बीच 27.34 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जो भारत के कुल विदेशी व्यापार का 2.46 प्रतिशत है।
जर्मनी के नए चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने मई में अपना कार्यभार संभाला है। विदेश मंत्री जयशंकर की जर्मनी यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रेडरिक मर्ज को उनके नए पद के लिए शुभकामनाएं दी थीं। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था कि वे फ्रेडरिक मर्ज को जर्मनी के संघीय चांसलर बनने पर हार्दिक बधाई देते हैं और भारत-जर्मनी के रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करने के लिए मिलकर काम करने के लिए उत्साहित हैं।
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जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद कई देशों ने भारत के प्रति अपनी सहानुभूति जताई। नीदरलैंड, डेनमार्क और जर्मनी जैसे देश भी इस सूची में शामिल थे। डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन ने इस घटना की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन किया। उन्होंने हमले में हुए नुकसान के कारण पीड़ितों और उनके परिवार वालों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट की।
विशेषज्ञों का कहना है कि जयशंकर की यह यात्रा भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को सशक्त बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे भारत को यूरोप के साथ रणनीतिक सहयोग, नवाचार, और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण जैसे क्षेत्रों में ठोस उपलब्धियाँ हासिल करने का अवसर मिल सकता है। भारत की विदेश नीति और उसकी बढ़ती वैश्विक भूमिका को ध्यान में रखते हुए यह दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जयशंकर की मुलाकातों और वार्ताओं के नतीजों पर नीति निर्माता, कारोबारी जगत और आम जनता की गहरी निगाहें टिकी हुई हैं।