रूस और ईरान की साझेदारी अजरबैजान के लिए खतरे की घंटी
मास्को: रूस और ईरान की साझेदारी अजरबैजान के लिए खतरे की घंटी बनती दिख रही है। कैस्पियन सागर में दोनों देशों की संयुक्त सैन्य एक्सरसाइज को अजरबैजान के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है। इस युद्धाभ्यास में ईरानी नौसेना, आईआरजीसी और रूसी नौसेना सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं, जिसे अजरबैजानी मीडिया ने “हाइब्रिड वॉर” की तैयारी करार दिया है।
अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव हाल ही में रूस के खिलाफ काफी सख्त रुख अपनाते नजर आए। एक अजरबैजानी विमान हादसे के मामले में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह इसे अंतरराष्ट्रीय अदालत में ले जाएंगे। साथ ही, यूक्रेन को लेकर उन्होंने यह भी बयान दिया कि वहां के लोगों को किसी भी बाहरी कब्जे को सहन नहीं करना चाहिए। इन तीखे बयानों के बाद रूस और अजरबैजान के रिश्ते नए निचले स्तर पर पहुंच गए हैं, जिसे सोवियत संघ के विघटन के बाद अब तक का सबसे खराब दौर माना जा रहा है।
दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए रूस की जनता का भी मानना है कि पुतिन जल्द ही बाकू के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं। बीबीसी की रिपोर्ट में युद्ध समर्थक ब्लॉगर दिमित्री सेलेजनोव के हवाले से कहा गया है कि अजरबैजान अब खुलकर रूस के खिलाफ खड़ा हो गया है, और अगर रूस जल्द से जल्द युद्ध में उतरता है, तो उसके लिए यह ज्यादा फायदेमंद रहेगा। इसी तरह, ब्लॉगर यूरी कोटेनेक ने अजरबैजान के राष्ट्रपति अलीयेव को घमंडी तानाशाह करार देते हुए कहा है कि अब समय आ गया है कि उसे सबक सिखाया जाए।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौजूदा हालात में रूस और अजरबैजान के बीच युद्ध छिड़ता है, तो अजरबैजान को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हायर स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर दिमित्री युस्ताफिएव का कहना है कि 20 जुलाई को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरानी नेता के सलाहकार अली लारीजानी के बीच हुई मुलाकात एक गंभीर संकेत है। यह स्पष्ट करता है कि किसी भी संघर्ष की स्थिति में ईरान रूस का समर्थन करेगा।
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दूसरी ओर, अजरबैजान का करीबी सहयोगी तुर्की इस बार शायद उसकी सैन्य मदद करने की स्थिति में न हो। जर्मन रिसर्चर निकोलाई का कहना है कि रूस जॉर्जिया के ज़रिए एक सैन्य गलियारा बनाने की योजना पर काम कर रहा है, जिससे वह अजरबैजान पर ज़मीनी हमला कर सके।
ईरान और रूस ने 21 जुलाई से संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया है, जिसे ‘काजारेक्स 2025’ नाम दिया गया है। यह ड्रिल अजरबैजान के लिए एक स्पष्ट चेतावनी मानी जा रही है। रूसी मीडिया का कहना है कि यह अभ्यास अजरबैजान की हालिया बयानबाज़ी के जवाब में किया जा रहा है। एक रूसी पत्रकार के अनुसार, इस अभ्यास के साथ ही कैस्पियन सागर क्षेत्र में तनाव अब युद्ध की ओर बढ़ चला है। वहीं, युद्ध समर्थक ब्लॉगर एलेक्सी ने लिखा है कि अजरबैजान रूस विरोधी रणनीति अपना रहा है, जिससे यह साफ है कि वह रूस के लिए एक खतरा बन चुका है और अब एकमात्र समाधान युद्ध ही नजर आता है।