Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • यूटिलिटी न्यूज़
  • फैक्ट चेक
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो

  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • होम
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

हजारों साल बाद लौटा मौत का शिकारी! धरती पर फिर गूंज रही है Dire Wolf की दहाड़, वापसी से मचा तहलका

Dire Wolf: अमेरिका में डायर वुल्फ के शावकों को सुरक्षित वातावरण में रखा गया है। विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है। आइए जानें, यह प्रक्रिया किस तरह पूरी हुई।

  • By अमन उपाध्याय
Updated On: Apr 08, 2025 | 07:53 PM

धरती पर फिर गूंज रही है Dire Wolf की दहाड़, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )

Follow Us
Close
Follow Us:

नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: डायर वुल्फ, जो हजारों साल पहले पृथ्वी से विलुप्त हो चुके थे, अब फिर से आनुवंशिक बदलावों की मदद से अस्तित्व में लाए गए हैं। अमेरिका में एक गुप्त सुरक्षित स्थान पर ऐसे तीन डायर वुल्फ रह रहे हैं। विलुप्त प्रजातियों को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में लगी एक कंपनी ने यह जानकारी साझा की है।

कोलोसल बायोसाइंसेज के वैज्ञानिकों ने बताया कि ये भेड़ियों के शावक लगभग तीन से छह महीनों के बीच की उम्र के हैं। इनके बाल लंबे और सफेद हैं। शावकों के जबड़े मजबूत और मांसल हैं, और इनका वर्तमान वजन लगभग 80 पाउंड है, जो वयस्क होने पर करीब 140 पाउंड तक हो सकता है। डायर वुल्फ नामक यह प्रजाति करीब 10,000 साल पहले विलुप्त हो चुकी थी।

बफेलो विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी विन्सेंट लिंच का कहना है कि “अब आप केवल किसी जीव को सतही रूप से किसी अन्य जीव की तरह बना सकते हैं,” लेकिन किसी विलुप्त प्रजाति को पूरी तरह से वापस लाना संभव नहीं है। लिंच स्वयं इस अध्ययन का हिस्सा नहीं थे।

प्राचीन डीएनए का किया विश्लेषण

वैज्ञानिकों ने डायर वुल्फ के विशिष्ट गुणों को समझने के लिए उसके प्राचीन डीएनए का विश्लेषण किया। उन्होंने ओहियो में खुदाई के दौरान मिले डायर वुल्फ के लगभग 13,000 साल पुराने दांत और इदाहो में प्राप्त उसकी करीब 72,000 साल पुरानी खोपड़ी के टुकड़े, जो एक संग्रहालय में संरक्षित हैं, का अध्ययन किया।

विदेश की अन्य खबरों के लिए यहां क्लिक करें

कोलोसल की मुख्य वैज्ञानिक बेथ शापिरो ने बताया कि इसके बाद वैज्ञानिकों ने एक जीवित ग्रे वुल्फ की रक्त कोशिकाएं लीं और उनमें 20 अलग-अलग स्थानों पर जीन में बदलाव करने के लिए सीआरआईएसपीआर तकनीक का उपयोग किया। सीआरआईएसपीआर (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats) एक आधुनिक जीन-संपादन तकनीक है, जिसका प्रयोग डीएनए में विशेष बदलाव करने के लिए किया जाता है।

इस प्रकार पूरी हुई प्रक्रिया

शापिरो के अनुसार, वैज्ञानिकों ने बदली गई आनुवंशिक सामग्री को एक घरेलू भेड़िये की अंडाणु कोशिका में स्थानांतरित किया। इसके बाद तैयार भ्रूण को एक मादा घरेलू भेड़िये के गर्भ में प्रत्यारोपित किया गया। लगभग 62 दिन बाद, जीन संपादन के जरिए विकसित किए गए शावकों का जन्म हुआ, जो प्राचीन डायर वुल्फ की तरह दिखते हैं।

Roar of dire wolf is echoing on earth again causing a stir with its return

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: Apr 08, 2025 | 07:53 PM

Topics:  

  • America
  • America News
  • Latest News
  • World News

सम्बंधित ख़बरें

1

बीजिंग में भारत-चीन के अफसरों की मीटिंग, बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा, पढ़ें पूरी खबर

2

सीमा पार बैठा हाफिज का गुर्गा बौखलाया, भारत को दी परमाणु बम की गीदड़भभकी, VIDEO वायरल

3

जेल में इमरान, बाहर सेना का चोकहोल्ड! क्या फैज हमीद का खुलासा लाएगा भूचाल? पाकिस्तान में मची खलबली

4

नेपाल का सबसे महंगा आंदोलन! ‘Gen Z’ प्रोटेस्ट की रिपोर्ट जारी, 85 अरब का नुकसान; कई लोगों की मौत

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • अकोला
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy Terms & Conditions Author
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.