रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (सोर्स - सोशल मीडिया)
Putin India Visit Significance: ऐसे समय में जब अमेरिका और यूरोप मिलकर रूस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने में जुटे थे, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का दो दिवसीय भारत दौरा बेहद सफल रहा है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस ने वैश्विक मंच पर जो कूटनीतिक नुकसान झेला था, इस यात्रा ने उसे काफी हद तक कम कर दिया है। यह दौरा सिर्फ एक द्विपक्षीय कार्यक्रम नहीं, बल्कि विश्व राजनीति के लिए एक बड़ा संदेश था। पुतिन ने सहजता से यह साबित कर दिया कि रूस अब भी दुनिया की एक प्रमुख शक्ति है।
यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध केवल सैन्य मोर्चे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक और कूटनीतिक संघर्ष भी बन चुका है। अमेरिका और यूरोप ने युद्ध शुरू होने के बाद रूस को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था से अलग-थलग करने के लिए कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए और पुतिन की अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति को सीमित करने की कोशिश की।
ऐसे माहौल में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का दो दिन का भारत दौरा रूस के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत साबित हुआ है। यह यात्रा वैश्विक मंच पर रूस की वापसी का एक मजबूत संकेत बन गई। भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देश द्वारा दिया गया विशेष महत्व, पश्चिमी देशों द्वारा किए गए बहिष्कार के प्रयासों को कमजोर करता है।
भारत दौरे के दौरान हुई घटनाओं ने रूस की अंतरराष्ट्रीय छवि को नई ऊर्जा दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रोटोकॉल तोड़कर एयरपोर्ट जाना, उनके लिए निजी डिनर का आयोजन करना और राष्ट्रपति भवन में उनका भव्य स्वागत, ये सब साफ तौर पर बताते हैं कि पुतिन अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक अर्थव्यवस्था के लिए एक विशेष साझेदार हैं।
भारत आकर, पुतिन ने पश्चिमी जगत को यह स्पष्ट संदेश दिया कि रूस को वैश्विक राजनीति से बाहर नहीं किया जा सकता है। भारत ने भी बहुत सहजता से यह संदेश दिया कि अंतरराष्ट्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए रूस का साथ अब भी अनिवार्य है।
पश्चिमी प्रतिबंधों ने रूस को वैश्विक वित्तीय प्रणाली से लगभग काट दिया था। इस समस्या का समाधान खोजने के लिए, पुतिन के साथ इस बार कई रूसी बैंकों के प्रमुख भी भारत आए। दोनों देशों ने 2030 तक के लिए एक व्यापक आर्थिक रोडमैप तैयार किया है।
इस रोडमैप में ऊर्जा, व्यापार, बैंकिंग, अंतरिक्ष और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है। विशेष रूप से, राष्ट्रीय मुद्रा में लेन-देन को सुचारू करने और वैकल्पिक भुगतान प्रणालियों पर काम करने पर सहमति बनी है। यह कदम रूस के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत उसके लिए एक स्थिर, बड़ा और विश्वसनीय बाजार है, जो पश्चिमी दबावों से निपटने में मदद करेगा।
राष्ट्रपति पुतिन का राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देना एक महत्वपूर्ण प्रतीकात्मक कदम था। पश्चिमी दुनिया गांधी को शांति और नैतिक नेतृत्व के सबसे बड़े प्रतीक के रूप में देखती है।
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यूक्रेन युद्ध के बीच जब पुतिन दुनिया से शांति की अपील करते हैं और यह अपील गांधी के स्मारक से आती है, तो इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग प्रभाव पड़ता है। इस कदम से यह संदेश गया कि रूस केवल युद्ध का चेहरा नहीं है, बल्कि वह संवाद, स्थिरता और संतुलन की बात भी कर रहा है, जिससे उनकी कूटनीतिक छवि में सुधार आया है।