फिलिस्तीन देश बना तो किसे मिलेगी सत्ता (फोटो- सोशल मीडिया)
Palestine Recognition: फिलिस्तीन को एक के बाद एक बड़े देश संयुक्त राष्ट्र महासभा में मान्यता दे रहे हैं। इसके बाद से फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले लोगों के बीच उम्मीद जागी है कि 77 साल के लंबे इंतजार के बाद ही सही, पर अब शायद उसे एक देश के तौर पर मान्यता मिल सकती है। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल भी उठ खड़ा हुआ है कि अगर फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता मिल भी जाती है, तो इसकी कमान किसके हाथ में होगी?
फिलिस्तीन को लेकर सवाल जितना आसान नजर आता है, उतना है नहीं। दरअसल, फिलिस्तीन दो हिस्सों में बंटा है वेस्ट बैंक और गाजा। वेस्ट बैंक पर फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (फतह) का कब्जा है, वहीं गाजा पर हमास शासन करता आ रहा है। दिलचस्प बात यह है कि हमास इजरायल के साथ-साथ फतह को भी अपना दुश्मन मानता है। यहां तक कि दोनों के बीच सत्ता को लेकर गृहयुद्ध भी हो चुका है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को मान्यता देने वालों में फ्रांस, ब्रिटेन, कनाडा, माल्टा और ऑस्ट्रेलिया जैसे बड़े देश शामिल हैं। लेकिन इटली जैसे बड़े देश भी हैं जो फिलहाल फिलिस्तीन को मान्यता देना तो चाहते हैं, लेकिन हमास के आतंकी इतिहास के कारण इससे बचते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा फिलिस्तीन के नेतृत्व को लेकर भी देशों में मतभेद हैं।
मिडिल ईस्ट के अधिकांश देश, जैसे कतर, ईरान, सऊदी अरब और यमन जैसे देश हमास को फिलिस्तीनियों का असली नेता मानते आए हैं। जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय हमास की जगह पीएलओ को फिलिस्तीन का असली नेता मानता आ रहा है। इसके पीछे एक बड़ी वजह 1993 का ओस्लो समझौता है।
इसके तहत पीएलओ के तत्कालीन मुखिया यासिर अराफात ने इजरायल को एक देश के तौर पर मान्यता दी थी। वहीं इजरायल भी वेस्ट बैंक और गाजा के कुछ हिस्सों में फिलिस्तीनी स्वशासन स्थापित करने को लेकर तैयार हो गया था। लेकिन 28 सितंबर 2000 को दूसरा इंतिफादा और हमास के उदय के बाद इजरायल ने इस समझौते को मानने से इनकार कर दिया। हालांकि पीएलओ, हमास की तुलना में अब भी बेहतर विकल्प है।
दूसरे इंतिफादा के बाद वेस्ट बैंक और गाजा में कुछ समय तक चुनावों के जरिए सरकारें चुनी गईं। इस समय तक हमास राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं था। लेकिन 2004 में यासिर अराफात की मौत के बाद उसने खुद को राजनीतिक रूप से तैयार करना शुरू किया और 2006 के चुनाव में सबको हैरान करते हुए फतह को भारी मतों से हराया। हालांकि फतह ने चुनाव के नतीजों को मानने से इनकार कर दिया, जिसके चलते दोनों के बीच 6 साल तक एक लंबा गृहयुद्ध हुआ। इसके बाद 2012 में समझौते के तहत वेस्ट बैंक फतह को मिला और गाजा पर हमास का कब्जा रहा।
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हालांकि 2023 में इजरायल के साथ शुरू हुए युद्ध के बाद हमास की ताकत पहले से कम हुई गई है। लेकिन वो राजनीतिक तौरपर अब भी सक्रिय है। वहीं वेस्ट बैंक में फतह की कमान संभाल रहे महमूद अब्बास वैसी लोकप्रियता हासिल करने में नाकाम रहे हैं, जैसी यासिर अराफात को प्राप्त थी। ऐसे में फिलिस्तीन को देश बनने के बाद नए नेतृत्व की जरूरत होगी, जिसकी मान्यता वेस्ट बैंक के साथ-साथ गाजा और पूरी दुनिया के नेताओं के बीच भी हो।