भारत के दुश्मन को पाकिस्तानी एजेंसी ने उतारा मौत के घाट!
नवभारत डेस्क: आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का चीफ ऑपरेशन कमांडर जिया उर रहमान उर्फ अबू कताल अपने चाचा हाफिज सईद के लगातार जेल में रहने से परेशान था। इसकी एक वजह यह भी थी कि आतंकी संगठन लश्कर के अंदर उसकी पकड़ कमजोर होती जा रही थी, क्योंकि हाफिज के जेल में रहने की वजह से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने अपने फायदे के लिए संगठन में कई गुट बना लिए थे। 2008 में मुंबई हमले के बाद जब पाकिस्तानी सरकार ने हाफिज और जकीउर रहमान लखवी समेत लश्कर के बड़े कमांडरों पर लगाम कसी तो हाफिज ने कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में लश्कर के ट्रेनिंग कैंपों की जिम्मेदारी अबू कताल को सौंप दी।
अबू कताल भी भारत के जम्मू-कश्मीर में आकर 2002 से 2005 तक राजौरी पुंछ में सक्रिय रहा था और इन इलाकों में अपना स्थानीय नेटवर्क मजबूत कर लिया था। अबू ने जिस तरह से भारतीय धरती पर आतंकी हमलों को अंजाम दिया, उसे देखते हुए हाफिज ने उसे लश्कर का चीफ ऑपरेशन कमांडर बना दिया।
हाफ़िज़ के जेल जाने के बाद पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई को अबू का बढ़ता कद पसंद नहीं आया। क्योंकि वो अपने हिसाब से ऑपरेशन करता था। वो नहीं चाहता था कि पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसियां उसके ऑपरेशन में दखल दें। यही वजह है कि अबू और पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी के बीच मतभेद बढ़ गए। ये मतभेद धीरे-धीरे दुश्मनी में बदलने लगे जब अबू ने अपने चाचा हाफ़िज़ को जेल से रिहा करने के लिए पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसियों पर दबाव बनाया।
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पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी को लगने लगा कि अबू बागी हो गया है और उसके कुछ विदेशी एजेंसियों से संबंध हैं। जिन्हें वो लश्कर के बड़े आतंकियों और पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के बारे में जानकारी देता है। पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ने हाफ़िज़ सईद को भी इस बारे में जानकारी दी लेकिन हाफ़िज़ ने पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी की जानकारी को नज़रअंदाज़ कर दिया। इसके बाद पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ने अज्ञात हमलावर का नाम बताते हुए हाफ़िज़ सईद के भतीजे अबू क़ताल को मार गिराया। बताया जा रहा है कि पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी जल्द ही इस मामले में किसी हमलावर को गिरफ़्तार करके सामने ला सकती है।