कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
Pakistan Leadership Change: जिस बात का लंबे समय से अंदेशा था वही होने जा रहा है। पाकिस्तान में एक बार फिर लोकतंत्र का गला घोंटने की तैयारी हो रही है। पाकिस्तान की जनता अपने राष्ट्रवाद की कीमत चुकाने को तैयार है। राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को जल्द ही हटाकर देश की कमान सीधे सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर को सौंपने की योजना है।
इसके साथ ही, पाकिस्तान में मौजूदा संसदीय व्यवस्था को खत्म करके राष्ट्रपति प्रणाली लागू करने की बात चल रही है। यह पूरा खेल सेना के इशारे पर खेला जा रहा है। लोकतंत्र के नाम पर एक और नरम तख्तापलट की पटकथा लिखी जा चुकी है। बस अब इस पर मुहर लगने ही वाली है।
दरअसल, आसिम मुनीर को हाल ही में फील्ड मार्शल बनाया गया है। इसके बाद उन्हें आजीवन सैन्य विशेषाधिकार और कानूनी संरक्षण मिल गया है। सत्ता पर उनकी पकड़ और मजबूत होती जा रही है। अब वह न केवल सेना, बल्कि पाकिस्तान के पूरे राजनीतिक ढांचे के मालिक बनने वाले हैं। मुनीर की अमेरिका, चीन और सऊदी अरब की राजनयिक यात्राएँ बता रही हैं कि अब वही पाकिस्तान के असली शासक हैं।
संयोग कुछ ऐसा है कि मुनीर राष्ट्रपति बनेंगे। शरीफ़ को हटाया जाएगा। बिलावल उनकी जगह लेंगे। और बिलावल की क़ीमत पर ज़रदारी अपनी जगह मुनीर को देंगे। इन सबके बीच, इस संभावित बदलाव ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ और शरीफ़ परिवार में हलचल मचा दी है। नवाज़ शरीफ़ और मौजूदा प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ़ को डर है कि अगर राष्ट्रपति प्रणाली आ गई, तो न सिर्फ़ सरकार गिर जाएगी, बल्कि उनकी राजनीतिक ज़मीन भी खत्म हो जाएगी।
यही वजह है कि शरीफ़ परिवार पाकिस्तानी सेना के दूसरे धड़ों से संपर्क कर रहा है। दूसरी ओर, ख़बर है कि बिलावल की भूमिका को लेकर ज़रदारी की पार्टी के भीतर मतभेद हैं। फिर भी, सेना और पीपीपी का गठजोड़ साफ़ संकेत देता है कि बिलावल को आगे लाने की पटकथा तैयार है। यह पूरा घटनाक्रम जनरल ज़िया-उल-हक़ के 1977 के तख्तापलट की बरसी के आसपास हो रहा है, जिसके चलते इसे ‘तानाशाही की वापसी’ के तौर पर देखा जा रहा है।
इसे नरम तख्तापलट भी कहा जाता है। यह भी एक सच्चाई है कि अतीत में अयूब खान, जिया-उल-हक और परवेज मुशर्रफ जैसे सेना प्रमुख तख्तापलट के जरिए राष्ट्रपति बने थे। आज भी हालात वही कहानी दोहरा रहे हैं। प्रधानमंत्री तो बस नाम के होते हैं और असली ताकत जूतों के नीचे रहती है।
यह भी पढे़ें:- ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में गिरे कितने राफेल? कंपनी ने दिया जवाब, चीन की चाल हुई बेनकाब
अब देखना होगा कि पाकिस्तान की जनता की प्रतिक्रिया क्या होती है। क्योंकि इमरान खान इन सभी समीकरणों से गायब हैं। वह अभी भी जेल में हैं। लेकिन यह तय है कि पाकिस्तान की जनता अपनी धोखेबाज सेना के दिखावटी प्रेम की कीमत चुकाने को तैयार है।