पाकिस्तान में मौजूद बौद्ध धरोहर। इमेज-सोशल मीडिया
Hindu Heritage in Pakistan: पाकिस्तान में हजारों साल पुराने हिंदू और बौद्ध धर्म से जुड़े स्थल अब खतरे में हैं। ये स्थल करीब 5,000 साल पुराने हैं। ये दक्षिण एशिया की साझा सभ्यता की महत्वपूर्ण निशानियां हैं। अब तोड़फोड़, उपेक्षा और अवैध कब्जों की वजह से इनकी सुरक्षा खतरे में है। यह जानकारी स्थानीय एक्टिविस्ट्स, विशेषज्ञों और खुफिया रिपोर्ट्स के हवाले से दी गई है।
सीएनएन न्यूज18 के अनुसार विशेषज्ञ और एक्टिविस्ट्स ने कहा है कि पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर, गिलगित बल्तिस्तान, चिलास, हुनजा, शतियल, खैबर पख्तूनख्वा और बलोचिस्तान के कुछ हिस्सों में प्राचीन मंदिर, शिलालेख और पाषाण चित्र हैं। उनका अनुमान है कि सिर्फ चिलास-हुनजा-शतियल बेल्ट में 25 हजार से ज्यादा शिलालेख और चित्र हैं। इनकी तिथियां 5000 ईसा पूर्व से 16वीं सदी तक की हैं।
सूत्रों के अनुसार कट्टरपंथी समूह जानबूझकर हिंदू और बौद्ध चित्रों को निशाना बना रहे हैं। इन चित्रों को स्थायी रंग से रगड़ा या खरोंच कर नुकसान पहुंचाया गया है। कुछ मामलों में स्थानीय प्रशासन आलोचना के घेरे में है। दरअसल, उन्होंने आधिकारिक नोटिस सीधे प्राचीन शिलालेखों पर लिख दिए, जिसे विशेषज्ञ धरोहर की अवमानना मानते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, चिलास क्षेत्र में कट्टरपंथी इस्लामी समूह सक्रिय हैं। इससे आसपास के पुरातात्विक और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर चिंता जताई जा रही है। एक्टिविस्ट्स का आरोप है कि कई हिंदू और बौद्ध स्थल अवैध कब्जे में हैं। मगर, उन्हें बचाने या सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
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सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में काम करने वाले समूहों ने कहा है कि पाकिस्तान ने UNESCO और अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों के तहत अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की है। वे चेतावनी देते हैं कि निष्क्रियता जारी रही तो दक्षिण एशिया की साझा सभ्यता की अमूल्य धरोहर स्थायी रूप से नष्ट हो सकती है। विशेषज्ञ और एक्टिविस्ट्स ने मांग की है कि इन स्थलों को मजबूत कानूनी सुरक्षा दी जाए। यहां सुरक्षा उपाय बढ़ाए जाएं और अंतरराष्ट्रीय निगरानी की जाए। तभी इन ऐतिहासिक और प्राचीन स्थलों को और नुकसान पहुंचने से बचाया जा सकेगा।