पाकिस्तान की हथियारों में नया मोड़, फोटो ( सो. सोशल मीडिया)
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की हाल ही में आई रिपोर्ट ने दुनिया को चौंका दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, अब तक पाकिस्तान हथियारों की खरीद के लिए अमेरिका पर निर्भर था, लेकिन अब इस्लामाबाद ने अपनी दिशा बदल ली है। रिपोर्ट के अनुसार, अब चीन पाकिस्तान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन चुका है।
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की 2025 की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान और चीन के बीच रक्षा सहयोग पहले से कहीं अधिक गहरा हो गया है। रिपोर्ट ये बताती है कि वर्ष 2020 से 2024 के दौरान पाकिस्तान द्वारा खरीदे गए कुल हथियारों में 81% हथियार चीन से लिए गए हैं।
जबकि यह आंकड़ा 2015 से 2019 के समय में 74% था। इस दौरान पाकिस्तान ने चीन से कई अहम हथियार प्रणालियाँ हासिल खरीदी हैं, जिनमें J-10CE और JF-17 जैसे लड़ाकू विमान, VT-4 टैंक, टाइप 054A/P फ्रिगेट और हैंगोर-क्लास पनडुब्बियाँ शामिल हैं। साथ ही, चीन द्वारा किए गए कुल हथियार निर्यात का 63% हिस्सा अकेले पाकिस्तान को गया, जो इस बात का स्पष्ट रूप से संकेत है कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। चीन अब पाकिस्तान की रक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है और यह रणनीतिक साझेदारी समय के साथ और सशक्त हो रही है।
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CPEC, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) का एक अहम घटक है, जिसके तहत चीन ने पाकिस्तान में अरबों डॉलर का निवेश किया है। इस निवेश से सड़कों, ग्वादर जैसे बंदरगाहों, ऊर्जा परियोजनाओं और अन्य बुनियादी ढांचे का विकास हुआ है। हालांकि इससे पाकिस्तान को भी काफी आर्थिक फायदा हुआ है, लेकिन इसके साथ ही चीन पर उसकी निर्भरता भी काफी बढ़ गई है। ऐसे में ये बात जरूर समझ आ रही है कि पाकिस्तान जो अपने नागरिकों को बुनियादी सेवाएं देने में तो असफल हैं लेकिन हर साल हथियारों पर अरबों रुपये खर्च कर रहा है।
गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत 1951 में हुई थी। पाकिस्तान उन चंद देशों में शामिल था, जिन्होंने 1970 के दशक में चीन को उस समय समर्थन दिया था, जब ज्यादातर पश्चिमी देश उससे दूरी बनाए हुए थे।