TTP के खिलाफ ऑपरेशन सरबाकफ (फोटो- सोशल मीडिया)
Pakistan Operation Sarbakaf: पाकिस्तानी सेना ने बुधवार को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बाजौर जिले में हरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ ‘ऑपरेशन सरबाकफ’ शुरू किया है। यह ऑपरेशन मुख्य रूप से लोई मामुंड और वार मामुंड तहसीलों में चल रहा है, जो कभी TTP के गढ़ माने जाते थे।
हालही में तालिबान कमांडरों के साथ शांति वार्ता विफल होने के बाद, 27 इलाकों में 12 से 72 घंटे तक का कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। इस सख्त कार्रवाई के चलते लगभग 55,000 लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित इलाकों में शरण लेने के लिए जाना पड़ा है, जबकि 4 लाख से अधिक लोग अभी भी अपने घरों में ही फंसे हुए हैं।
वहीं, विपक्षी अवामी नेशनल पार्टी के विधायक निसार बाज ने सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विधानसभा में बोलते हुए बाज ने कहा कि कर्फ्यू की वजह से लोग सुरक्षित स्थानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं और सेना अपने ही नागरिकों के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है। स्थिती इतनी गंभीर हैं कि हजारों परिवार खुले मैदानों, टेंटों और सार्वजनिक इमारतों में रातें बिताने को मजबूर हैं। यातायात की बंदी और खाद्य सामग्री की भारी किल्लत ने स्थिति को और भी भयावह बना दिया है।
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हालांकि सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। सरकार ने दावा किया कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार मुबारक खान जैब ने बताया कि स्कूलों को अस्थायी शेल्टर बनाया गया है और 107 शैक्षणिक संस्थानों को राहत शिविर घोषित किया गया है। हालांकि, जमीनी स्तर पर राहत सामग्री और आश्रय की भारी कमी बताई जा रही है।
पाकिस्तानी सेना ने ऑपरेशन सरबाकफ 29 जुलाई को शुरू किया था, लेकिन जनजातीय जिरगा की मध्यस्थता से एक दिन बाद अस्थायी रूप से रोक दिया गया था। कई दौर की बातचीत के बाद भी 2 अगस्त को वार्ता विफल हो गई, जिसके बाद सेना ने फिर से कार्रवाई शुरू कर दी।
बाजौर जिला पहले भी कई बार आतंकवाद के खिलाफ अभियानों का केंद्र रहा है, जिनमें हजारों लोग बेघर हुए थे। लेकिन इस बार सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन और नागरिकों को टॉर्चर करने के गंभीर आरोप लगे हैं, जो कई सवाल खड़े करते हैं।