रूस-चीन-ईरान करने जा रहे संयुक्त सैन्य अभ्यास, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
तेहरान: डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका का रवैया आक्रामक हो गया है, जिससे उसके विरोधी देश एकजुट हो रहे हैं। इसी कड़ी में, ईरान, रूस और चीन की नौसेनाएं इस सप्ताह ईरान के तट पर संयुक्त सैन्य अभ्यास करने जा रही हैं। इस सैन्य अभ्यास का मकसद इन तीनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करना है। ईरानी मीडिया ने रविवार को इस संबंध में जानकारी दी।
अमेरिकी प्रभाव के खिलाफ एकजुट होकर काम करने वाले ये तीनों देश हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में संयुक्त अभ्यास करते रहे हैं। ईरानी न्यूज एजेंसी तसनीम के अनुसार, यह सैन्य अभ्यास मंगलवार को ईरान के दक्षिण-पूर्व में ओमान की खाड़ी के पास स्थित चाबहार बंदरगाह से शुरू होगा।
ईरानी समाचार एजेंसी के अनुसार, चीन और रूस की नौसेनाओं के युद्धपोत, लड़ाकू और सहायक जहाज, साथ ही ईरानी सेना और रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के जहाज सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेंगे। यह अभ्यास उत्तरी हिंद महासागर में आयोजित किया जाएगा। हालांकि, इसकी अवधि के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करना और भाग लेने वाले देशों के बीच बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना है।
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रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, मॉस्को की ओर से प्रशांत बेड़े के दो कोरवेट और एक टैंकर इस सैन्य अभ्यास में भाग लेंगे। यह अभ्यास उत्तरी हिंद महासागर में कई दिनों तक चलेगा, जिसमें चालक दल कब्जे में लिए गए जहाजों को मुक्त कराने, समुद्र में खोज और बचाव अभियान संचालित करने और समुद्री एवं हवाई लक्ष्यों पर तोपखाने की फायरिंग का अभ्यास करेगा। वहीं, चीन ने वीचैट सोशल मीडिया नेटवर्क के जरिए जानकारी दी कि वह इस अभ्यास के लिए एक विध्वंसक और एक आपूर्ति जहाज तैनात करेगा।
इस सैन्य अभ्यास में पाकिस्तान, अज़रबैजान, दक्षिण अफ्रीका, ओमान, कजाकिस्तान, कतर, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और श्रीलंका बतौर पर्यवेक्षक भाग लेंगे। इससे पहले, ईरानी सेना ने फरवरी में इसी इलाके में युद्धाभ्यास किया था, जिसका उद्देश्य किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए अपनी रक्षा क्षमताओं को सुदृढ़ करना था।