नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (फोटो- सोशल मीडिया)
Nepal Social Media Ban: नेपाल सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए फेसबुक, यूट्यूब और एक्स समेत कुल 26 सोशल मीडिया साइट्स पर प्रतिबंध लगा है। सरकार के इस फैसले का देशभर में विरोध हो रहा है। इसी बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने रविवार को एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि राष्ट्र को कमजोर करने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह बयान ओली ने सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के एक सम्मेलन के दौरान दिया। उन्होंने कहा, “हमारी पार्टी हमेशा अहंकार और समाज में फैली विसंगतियों का विरोध करती रही है। जो भी कार्य राष्ट्र की संप्रभुता और गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं, उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा।”
पीएम ओली ने यह साफ किया कि सरकार सोशल मीडिया के खिलाफ नहीं है, लेकिन जो कंपनियां नेपाल में व्यापार करके मुनाफा कमा रही हैं और फिर भी सरकारी कानूनों का पालन नहीं कर रही हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, “कानून का उल्लंघन और संविधान की अनदेखी किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। देश की स्वतंत्रता चंद लोगों की नौकरियों से कहीं ज्यादा मूल्यवान है।”
सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को 28 अगस्त से सात दिनों के अंदर पंजीकरण करने का निर्देश दिया था। हालांकि, मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप), अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स, रेडिट और लिंक्डइन जैसी बड़ी कंपनियों ने निर्धारित समय सीमा के भीतर पंजीकरण नहीं कराया। इसके चलते सरकार ने गुरुवार से इन प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगा दिया।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इन प्लेटफॉर्म्स का उपयोग फर्जी आईडी से नफरत फैलाने, अफवाहें उड़ाने और साइबर अपराधों के लिए किया जा रहा था, जिससे समाज में अस्थिरता और असामाजिक गतिविधियों में इजाफा हो रहा था।
इस फैसले के विरोध में रविवार को काठमांडू के मैतीघर मंडला क्षेत्र में दर्जनों पत्रकारों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने इस प्रतिबंध को प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिकों की अभिव्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए इसे तुरंत हटाने की मांग की।
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वहीं, नेपाल कम्प्यूटर एसोसिएशन (CAN) ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है। एसोसिएशन का कहना है कि फेसबुक, यूट्यूब और एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स पर रोक लगाने से शिक्षा, व्यापार, संचार और आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।