नेपाल में बवाल, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: शुक्रवार को नेपाल में अचानक हुए हंगामे ने देश में हलचल मचा दी। राजधानी में ‘राजा आओ, देश बचाओ’ और ‘हमें राजशाही वापस चाहिए’ जैसे नारों की गूंज सुनाई देने लगी, जिससे राजशाही शासन की मांग जोर पकड़ने लगी। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें होने लगीं, जिससे हालात धीरे-धीरे पूरे देश में बिगड़ने लगे।
स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को आपातकालीन बैठक बुलानी पड़ी। सूत्रों के मुताबिक, बैठक में राजा ज्ञानेंद्र की संभावित गिरफ्तारी पर चर्चा हो रही है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मौजूदा स्थिति को देखते हुए एक आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में वे सुरक्षा प्रमुखों से पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की गिरफ्तारी से पहले और बाद में होने वाले प्रभावों पर चर्चा कर रहे हैं। वहीं, सीपीएन-माओवादी के नेता पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ ने चेतावनी दी है कि नेपाली जनता और राजनीतिक दलों की सहनशीलता को उनकी कमजोरी न समझा जाए।
शुक्रवार को राजशाही समर्थकों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद काठमांडू की सड़कों पर नेपाली सेना को तैनात कर दिया गया है। फिलहाल, तिनकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है।
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नेपाली दंगा पुलिस ने राजा के समर्थकों को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस, पानी की बौछार और लाठीचार्ज का सहारा लिया। पुलिस प्रवक्ता दिनेश कुमार आचार्य के अनुसार, इस घटना में दो लोगों की मौत हुई, जिनमें एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एक पत्रकार की मृत्यु तब हुई जब उनके घर में आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारियों ने एक निजी घर और एक वाहन में आग लगा दी, जिससे तीन पुलिसकर्मियों सहित कुल 17 लोग घायल हो गए। पुलिस ने तीन प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।
नेपाल में राजशाही समर्थकों ने भारी उपद्रव किया। तिनकुने क्षेत्र में एक घर में आग लगा दी गई, जबकि पत्थरबाजों ने एक राजनीतिक दल के कार्यालय पर हमला किया। कई गाड़ियों को जला दिया गया और दुकानों में लूटपाट मचाई गई। विरोध प्रदर्शन के बाद, काठमांडू के कुछ इलाकों में रात 10 बजे तक कर्फ्यू लगाया गया, जिससे हालात संभालने के लिए पूर्वी काठमांडू में सेना तैनात करनी पड़ी।