नेपाल के पूर्व पीएम ओली, फोटो (सो. सोशल मीडिया )
Nepal Protest: नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री ओली ने अपना पद छोड़ दिया। बताया जा रहा है कि वह दुबई जाने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच, एक नेपाली एयरहोस्टेस ने वीडियो साझा किया है जिसमें दावा किया गया है कि ओली काठमांडू से दुबई के लिए उड़ान भर चुके हैं। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और साथ ही प्रदर्शनकारियों के गुस्से को और बढ़ा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओली ने कथित तौर पर सेना से मदद मांगकर देश छोड़ने की कोशिश की थी। कहा जा रहा है कि उन्होंने मेडिकल इलाज का बहाना बनाकर दुबई की यात्रा की। उनके लिए हिमालया एयरलाइंस का एक निजी जेट भी तैयार रखा गया था। इसी बीच, ललितपुर के भैसेपाटी इलाके में हेलीकॉप्टर घूमते देखे जाने की खबरों ने इन अटकलों को और बढ़ा दिया है।
आंदोलन के दूसरे दिन प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इतना बढ़ गया कि उन्होंने ओली के निजी निवास, राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट तक को निशाना बनाकर आग लगा दी। ताजा रिपोर्ट के अनुसार इन हिंसक घटनाओं में अब तक 22 लोग मारे गए और 400 से अधिक लोग घायल हुए हैं। नेपाली सेना ने बताया कि कुछ उग्र समूह आम जनता और सरकारी संपत्तियों पर हमला कर रहे हैं। इसके साथ ही काठमांडू और अन्य कई इलाकों में लूटपाट, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सेना ने जनता से अपील की है कि वे इन खतरनाक गतिविधियों से दूर रहें, अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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ओली ही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने तीन अन्य पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी निशाना बनाया। शेर बहादुर देउबा, झालानाथ खनाल और पुष्पकमल दहल के घरों में आग लगा दी गई। पूर्व पीएम खनाल की पत्नी, राजलक्ष्मी चित्रकार भी हिंसा के दौरान आग में गंभीर रूप से झुलस गईं और बाद में अस्पताल में उनका निधन हो गया। वहीं, शेर बहादुर देउबा को प्रदर्शनकारियों ने उनके घर में घुसकर पीटा, और वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को सार्वजनिक रूप से दौड़ाकर मारा गया।
बता दें कि दुबई में शरण पाने की प्रक्रिया आम लोगों की तरह नहीं होती, खासकर जब बात किसी बड़े नेता जैसे नेपाल के पूर्व पीएम ओली की हो। आम तौर पर, किसी भी विदेशी नागरिक का शरण का मामला संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के पास जाता है। लेकिन बड़े नेताओं के लिए यह प्रक्रिया अधिकतर बैकचैनल बातचीत के माध्यम से होती है। इस दौरान दुबई की सरकार उनके ठहरने, सुरक्षा और आगे की योजना पर निर्णय लेती है। कभी-कभी उन्हें अस्थायी रूप से शरण दी जाती है और बाद में किसी तीसरे देश में भेजा जा सकता है।