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राजशाही की दस्तक! खत्म हुआ कम्युनिस्ट शासन… नेपाल में हिंदू राष्ट्र की आहट तेज

Nepal Protest: हाल ही में नेपाल में हुए राजनीतिक बदलावों के बाद राजशाही समर्थकों की पकड़ मजबूत होती दिख रही है। बालेंद्र शाह और सुदन गुरुंग जैसे नेताओं के नेतृत्व में यह आंदोलन जनता के व्यापक समर्थन..

  • By अमन उपाध्याय
Updated On: Sep 10, 2025 | 10:33 AM

नेपाल हिंसा की तस्वीर, फोटो (सो. सोशल मीडिया )

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Nepal News Hindi:  नेपाल में सरकार गिरने के बाद वहां की युवा पीढ़ी में खुशी का माहौल देखने को मिल रहा है। 8-9 सितंबर की घटनाओं की शुरुआत दरअसल मार्च 2025 से ही हो गई थी। राजधानी में 9 मार्च 2025 को राजशाही के समर्थन में एक बड़ा प्रदर्शन हुआ था जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। इसे “नेपाल का हैक्टिविज़्म” कहा गया, यानी ऐसा आंदोलन जिसमें जनता ने सत्ता और शासकीय केंद्रों को चुनौती देते हुए पूरे सिस्टम को अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश की।

काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह ने इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया। मैथिली मूल के मद्धेशी समुदाय से आने वाले शाह राजशाही शासन और हिंदू राष्ट्र की विचारधारा के समर्थक माने जाते हैं। इस आंदोलन को सुदन गुरुंग ने भी समर्थन दिया। आंदोलन की प्रकृति कुछ वैसी ही थी जैसी नवंबर 2011 में अमेरिका में चले ऑक्यूपाई वॉल स्ट्रीट आंदोलन की थी। वहां सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पूंजीवाद और असमानता के खिलाफ आवाज़ उठाई थी, जबकि नेपाल में जनता भ्रष्ट नेताओं और उनकी नीतियों के खिलाफ सड़क पर उतरी।

शाह ने की आंदोलन की शुरुआत

नेताओं बालेंद्र शाह और सुदन गुरुंग ने संयुक्त रूप से देश की लोकतांत्रिक सरकार के विरोध में एक जनआंदोलन की नींव रखी। 8 सितंबर का दिन काठमांडू में दो महत्वपूर्ण और विपरीत घटनाओं का गवाह बना। एक तरफ जहाँ विपक्षी आंदोलनकारियों ने अपनी रणनीति पर चर्चा की, वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने भी अपना कदम बढ़ाया।

यह भी पढ़ें:- ट्रंप को फिर आई अपने ‘अच्छे दोस्त’ की याद, बोले- जल्द करना चाहता हूं PM मोदी से बात

सरकार की ओर से, ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने संविधान सभा की एक बैठक आयोजित की। उनका उद्देश्य संविधान में ऐसा संशोधन करना था जो किसी व्यक्ति को लगातार दो बार प्रधानमंत्री पद पर रहने की अनुमति दे। इसके विपरीत, उसी दिन सुदन गुरुंग ने सरकार के खिलाफ अपने आंदोलन को औपचारिक रूप से शुरू करने की घोषणा की। उन्होंने आंदोलन को और तीव्र करने का संकल्प लिया और देश के युवाओं और छात्रों से स्कूल यूनिफॉर्म और किताबों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की।

नेपाल में राजशाही समर्थकों का प्रभाव

केपी शर्मा ओली की तीन दिवसीय बैठक का दूसरा दिन 9 सितंबर को उनके राजनीतिक भविष्य के लिए अहम साबित हुआ। गुरुंग और शाह के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने सत्ता पर दबदबा कायम किया। अब ऐसा लग रहा है कि नेपाल में जनता का झुकाव राजशाही समर्थकों की ओर है। अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में संविधान और राजा ज्ञानेन्द्र मिलकर देश की राजनीतिक दिशा तय करेंगे।

Nepal communist rule ends monarchy hindu nation return debate

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Published On: Sep 10, 2025 | 08:04 AM

Topics:  

  • Nepal
  • Nepal Politics
  • Nepal Violence
  • World News

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