आतंकी हाफिस सईद (डिजाइन फोटो)
नवभारत डेस्क: पहलगाम हमले के बाद एक नई बहस शुरू हो गई है। आतंकी संगठन कैसे काम करते हैं और इनकों फंड कहां से आता है। पाकिस्तान आतंकी संगठनों का पनाहगार है, वो बात अगल है कि ये मुल्क हमेशा से इस बात को इनकार करता आ रहा है, लेकिन सब जानते है कि आतंकवाद कहां फलता-फूलता है। लश्कर-ए-तैयबा…इस खूंखार आतंकी संगठन का नाम आज भी टॉप पर बना हुआ है। जो पूरी दुनिया में आतंक का पर्याय बन चुका है।
आतंकवादी हाफिज मोहम्मद सईद ने इसकी स्थापना की थी अब उसका बेटा तल्हा सईद जो धीरे-धीरे उसके नक्शेकदम पर चल रहा है। संगठन में तल्हा की दखलंदाजी और भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। लश्कर में ऑपरेशन की कमान संभालने वाला जकी-उर-रहमान लखवी 2008 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है। हमलों के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था, लेकिन 2015 में उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया और फिर 2021 में उसे 15 साल की सजा सुनाई गई।
लश्कर-ए-तैयबा कई ऐसे खुंखार आतंकी है जो दुनिया में तबाही मचाने के मंसूबे रखते है। इसी में शामिल है जकी-उर-रहमान लखवी। ये आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के सैन्य अभियानों, ट्रेनिंग कैंप और हमलों की पूरी साजिश को अंजाम देता है।
लश्कर-ए-तैयबा के अन्य सीनियर चेहरे भी कम खतरनाक नहीं हैं। साजिद मीर उर्फ सैफुल्लाह साजिद जट्ट, हाजी मोहम्मद अशरफ, मोहम्मद याह्या मुजाहिद, आरिफ कासमानी जैसे आतंकी इस संगठन में शामिल है।
साजिद मीर उर्फ सैफुल्लाह साजिद जट्ट: 26/11 मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता और मास्टरमाइंड साजिद मीर उर्फ सैफुल्लाह साजिद जट्ट आज भी फरार है और FBI का वांटेड आतंकी है। उसका काम अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क तैयार करना और लश्कर के लिए आतंकियों की भर्ती करना है।
मोहम्मद याह्या मुजाहिद: लश्कर-ए-तैयबा का मीडिया प्रमुख और प्रवक्ता मोहम्मद याह्या मुजाहिद है। जो प्रोपेगेंडा और पब्लिक मैसेजिंग का काम संभालता है।
हाजी मोहम्मद अशरफ: संगठन का फाइनेंसियल हेड हाजी मोहम्मद अशरफ है, जो चंदा, हवाला और फंडिंग नेटवर्क को चलाता है। खासतौर पर जमात-उद-दावा जैसे फ्रंट्स के जरिए ये इस काम अंजाम देता है।
आरिफ कासमानी: लश्कर-ए-तैयबा का अन्य आतंकी संगठनों से कॉर्डिनेशन की जिम्मेदारी आरिफ संभालता है। ये अल-कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों से संबंध बनाए रखने में माहिर है।
जफर इकबाल: जफर इकबाल लश्कर का सह-संस्थापक है। यह वैचारिक ट्रेनिंग और कट्टरता फैलाने में रहा है। यह ब्रेनवॉश करने में मास्टर है।
इन सब के बाद आते हैं कमांडर और ऑपरेटिव्स वो भी कम खतरनाक नहीं हैं। 2025 के पहलगाम हमले में जिस आदिल ठोकर का सामने आया है वो पाकिस्तान में ट्रेंड एक स्थानीय आतंकी है। इसने दिखा दिया कि कैसे ये मिड-लेवल के आतंकी भी बड़े हमले अंजाम दे सकते हैं।
लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन छोटे-छोटे सामाजिक फ्रंटों की आड़ में इस आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते है। जमात-उद-दावा…लश्कर का चैरिटेबल चेहरा है, जो स्कूल, अस्पताल और राहत शिविरों की आड़ में लोगों को बरगलाता है। अमेरिका और UN ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।
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फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन, अल मदीना और ऐसर फाउंडेशन जैसे नाम जमात-उद-दावा पर बैन के बाद सामने आए हैं, जिनका असली काम आतंकी नेटवर्क को जिंदा रखना है। वहीं मिल्लि मुस्लिम लीग, लश्कर की राजनीतिक पार्टी है, जो पाकिस्तान की राजनीति में अपनी पैठ जमाने की कोशिश करती रही। अमेरिका ने इसे भी प्रतिबंधित कर दिया है।
जमात-ए-इस्लामी का उप-महाद्वीपीय हवाला नेटवर्क भारत, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका तक फैला है, जहां से आतंकी गतिविधियों को पैसा पहुंचाया जाता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी इन संगठनों को फंडिंग करता है।