खामनेई बोले- फ्यूल साइकल हुआ पूरा, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
तेहरान: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने बुधवार को ऐलान किया कि उनके देश के वैज्ञानिकों ने परमाणु ईंधन चक्र (न्यूक्लियर फ्यूल साइकिल) को पूरी तरह सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इसका सीधा अर्थ यह है कि अब ईरान यूरेनियम को जमीन से निकालने से लेकर उसका प्रसंस्करण और बिजली उत्पादन तक की सभी परमाणु प्रक्रियाओं में पूरी तरह आत्मनिर्भर बन चुका है।
यह उपलब्धि ईरान को उन देशों की कतार में खड़ा कर देती है जो परमाणु शक्ति संपन्न माने जाते हैं। इस घटनाक्रम से अमेरिका और इजरायल जैसे देशों की चिंता बढ़ना तय है। खासतौर पर डोनाल्ड ट्रंप और बेंजामिन नेतन्याहू के लिए यह खबर रातों की नींद उड़ाने वाली हो सकती है।
न्यूक्लियर फ्यूल साइकल एक वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के लिए आवश्यक ईंधन तैयार करना और उसे प्रयोग के बाद सुरक्षित रूप से निष्क्रिय करना होता है। यह प्रक्रिया तीन मुख्य चरणों में पूरी होती है।
इस प्रकिया को आगे बढ़ाते हुए यूरेनियम को समृद्ध किया जाता है, ताकि वह परमाणु रिएक्टर में इस्तेमाल के लायक बन सके। समृद्ध यूरेनियम को रिएक्टर में बिजली उत्पादन के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है। जब इसका उपयोग हो जाता है, तो बचा हुआ परमाणु ईंधन पहले ठंडा किया जाता है, फिर या तो सुरक्षित रूप से संग्रहित किया जाता है या दोबारा प्रक्रिया (री-प्रोसेसिंग) के लिए भेजा जाता है।
Thanks to the intelligence of our youth and the dedication of our scientists, Iran has succeeded in achieving a complete nuclear fuel cycle. So today, we’re capable of producing nuclear fuel starting from the mine and all the way to the power plant.
— Khamenei.ir (@khamenei_ir) June 4, 2025
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अभी हाल ही में खामेनेई ने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि तेहरान को यूरेनियम संवर्धन की अपनी क्षमता बनाए रखनी होगी। उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास 100 परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं और उनका संवर्धन नहीं हुआ है तो वो हमारे लिए उपयोग करने योग्य नहीं हैं। उन्होंने कहा आगे कहा कि अगर हम संवर्धन नहीं कर सकते तो हमें अमेरिका के सामने हाथ फैलाना चाहिए।
अमेरिका और इजरायल जैसी ताकतों के लिए चिंता की बात यह है कि उच्च स्तर पर संवर्धित यूरेनियम का इस्तेमाल वही प्रक्रिया है जो परमाणु हथियारों के निर्माण में भी होती है। अगर ईरान इस तकनीक में पूरी तरह सक्षम हो गया, तो यह सिर्फ मध्य पूर्व ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शक्ति संतुलन को बदल सकता है।